बिलासपुर। बीते 25 साल से तरह तरह के प्रलोभन देकर प्रदेश में चल रहे धर्मान्तरण के खेल पर लगाम लगाने का प्रयास साय सरकार ने शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में दो दिन पहले बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में दो नंबरी पर्चे बांटने वाली अज्ञात महिला को लेकर पुलिस और खुफिया विभाग चौकन्ना हो गया है। एक तरफ एसपी ने अपने मातहतों को सिम्स में दो नंबरी पर्चे बांटने वाली अज्ञात महिला की खोजबीन में लगाया है तो वहीं खुफिया विभाग भी प्रार्थना के नाम पर धर्मांतरण का खेला करवाने वालों की जड़ तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, इतनी मेहनत के बाद भी पुलिस अमले के हाथ अभी तक खाली ही है।
बता दें कि, सिम्स में बिना मुद्रक प्रकाशन चस्पा किए गए प्रार्थना करने के कई सारे टिप्स वाले दो नंबरी पर्चे बांटने वाली अज्ञात महिला तक पुलिस नही पहुंच पाई है। घटना को आज(शनिवार) तीसरा दिन है लेकिन कोतवाली पुलिस के हाथ अज्ञात महिला तक नही पहुंच पाया है। सिविल लाइन थाना क्षेत्र के जरहाभाटा स्थित विश्वासी मंदिर से जुड़े कुछ लोगों को थाने तलब कर उनका बयान दर्ज कर ही पुलिस को संतुष्ट होना पड़ रहा है, क्योंकि विश्वासी मंदिर के लोगों ने भी सिम्स में दो नंबरी पर्चे बांटने वाली अज्ञात महिला को पहचानने से इंकार कर दिया है। सिटी कोतवाली विजय चौधरी ने बताया कि पुलिस की ओर से अज्ञात महिला की तलाश में हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
चारों ओर चल रहा पर्चे का खेल
भले ही विश्वासी मंदिर से जुड़े लोग सिम्स में दो नंबरी पर्चे बांट गायब हो चुकी अज्ञात महिला को पहचानने से इंकार कर रहे हैं लेकिन इसके पीछे का खेल किसी से छुपा नहीं है। प्रशासन की नाक के नीचे ऐसे पर्चे बांट दूसरे धर्म की तरफ लोगों को आकर्षित करने का कार्य किया जा रहा है। इन्हीं तरह की कोशिशों के जरिये भोले भाले लोगों को कभी धन तो कभी सामाजिक स्वीकृति का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने और प्रदेश की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की जाती रही है।
सवाल करने पर भाग जाते हैं पर्चे वाले
बिना मुद्रक प्रकाशन चस्पा किए गए प्रार्थना करने के कई सारे टिप्स वाले दो नंबरी पर्चे वालों को खोज खबर में लगे कुछ लोगों ने बताया कि कई जगह उनका पर्चे बांटने वालों से सामना हो चुका है। पहले तो यह लोग अपनी बातों की तरफ आकर्षित करते हैं तरह तरह का लोक लुभावन दिखा अपनी कौम के हिसाब से प्रार्थना करने बोलते है लेकिन वहीं अगर कोई इनसे किसी तरह का सवाल कर दिया जाए तो पलक झपकते ही भाग खड़े होते हैं।
दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव ने चलाया था व्यापक आंदोलन
बता दें कि, छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले दो दशक से डेमोग्राफी बदलने की भरसक कोशिशे की जा रही है। मिशिनरी से जुड़े लोग भोले भाले आदिवासियों को सबसे अधिक निशाना बनाते है। अधिकतर आदिवासी बहुल इलाके या पिछले इलाके इनका टारगेट रहा है। इनसे जुड़े लोगों को विदेशो से भी इस काम के लिए मोती रकम मुहैया कराई जाती है। इनका नेक्सस इतना चरणबद्ध तरीके से काम करता है की इसके शिकार लोगों को पता ही नहीं चलता की ये कब उनकी जाल में फंस गए। अधिकतर ये लोग सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगो को सामाजिक स्वीकृति और धन का लालच देकर फंसा लेते है। प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में आज के समय हज़ारों चर्च खुल गए है। हालांकि, इनके पर कतरने का काम सबसे अधिक प्रदेश के दिवंगत और बीजेपी के पूर्व कद्दावर नेता दिलिप सिंह जूदेव ने किया था। उन्होंने ने ही सबसे पहले जशपुर में हज़ारों आदिवासियों के चरण धोकर हिन्दू धर्म में वापसी कराइ थी। ये दिलीप सिंह जूदेव की ताकत ही थी जिसकी वजह से जशपुर अंबिकापुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में मिशिनरी ज्यादा फल फूल नहीं पाया। लेकिन अब उनके जाने के बाद प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने अपने पिता के अधूरे काम को पूरा करने का फैसला लिया है। वे लगातार प्रदेश के अलग अलग हिस्से में मिशिनरियों के जाल में फंसे हज़ारों लोगों की घर वापसी करवा चुके है और करवा रहे है।