बिलासपुर- राजस्व प्रकरण में जद देरी,आमजनों से दूर,सालों से लटके मामले और कालोनाइजरों एवं ज़मीन के दलालों से युक्त बिलासपुर तहसील कार्यालय जहां आम आदमी अपने परिवार के लिए स्वयं से साधारण जाति ,निवास,आमदानी तक बनाने में जूते तक घिस जाते रहे फिर भी बैगेर दलालों के सहयोग से नही बन पाते रहे, जरूरत मंद लोगों एवं आम जनो को जानते समझते हुए भी मोटी रकम देना पड़ रहा था तहसील कार्यालय में पिछले कई सालो से ढील ढाल रवैये की वजह से सैकड़ों प्रकरण लंबित थे वही कई एक मामले लंबे समय से बेवजह लटके पड़े थे जिनके कोई वादी ,प्रतिवादी का कोई अतापता नही था ऐसे में बिलासपुर तहसील में रमेश कुमार मोर आये , इन्होंने 15 सितंबर 2021 को पदभार संभाला।जब इन्होंने कार्यभार ग्रहण किया तब इन्हें 3291 ई कोर्ट के मामले धरोहर में मिले ,इन प्रकरणो में कई तरह के राजस्व मामले थे कुछ मामले सफेदपोश रसूखदार कालोनाइजरों से संबंधित और कुछ मामले जमीन से जुड़े दलालों सहित अन्य थे चूंकि पिछले काफी समय से तहसील कार्यालय में दलालों और कालोनाइजरों के कब्जे रहे है और अपने सभी तरह के लीगल और अनलीगल कार्य बड़ी आसानी से कराने में इनको कभी कोई दिक्कत नहीं हो रहा था इसी बीच तहसीलदार रमेश कुमार मोर के आने से सबसे ज्यादा दिक्कत इनको ही होने लगीं , वही दूसरी तरफ जमीन से जुड़े दलालों को अपने गफलत भरे कार्यो को नही होने पर हुई ,चुकी रमेश कुमार मोर तहसीलदार की दिनचर्या और तेजगति कार्यशैली और तेजतर्रार की काबलियत तब दिखने लगी जब वर्षो से लंबित ई कोर्ट के 3291 प्रकरण जो पूर्व में थे वही इनके आने पर 1अक्टूबर2021से 30 अप्रैल 2022के मध्य इनके रहते 1940 नये प्रकरण दर्ज हुए इस प्रकार दोनों मिलाकर5231 लंबित प्रकरणों में से इन्होंने केवल 7 महीने के कार्यकाल में 4320 मामलो का निराकरण करने में सफल रहे ,वही औषतन मामलो के निराकरण कार्यलिमिट के हिसाब से प्रतिदिन लगभग दो दर्जन मामलों की सुनवाई कर रहे हैं ,इन सब के बावजूद इनको कुछ जमीन से जुड़े भू माफियाओ ने इनकी कार्यशैली पर काफी कुछ उलजुलूल अफवाह फैलाने की कोशिश किये ,इन पर कई तरह के ब्लेम लगाये गये ,इधर इनके न्यायालय में आज की वर्तमान स्थिति में केवल 911 लगभग मामले लंबित है इन्होंने अपने बिलासपुर तहसीलदार के पद पर आते ही सबसे पहले शहर में पुराने बड़े मामलों जिनमें शासकीय भूमि और विवादित जनसमस्या से संबंधित सभी नये पुराने मामलों की फ़ाइलो की परते खोल दी इसी सब के चलते अब भू माफिया और जमीन के दलालों की आंख के कंकड़ की तरह चुभने वाले तहसीलदार रमेश कुमार मोर के खिलाफत में एक वर्ग विशेष को लगा दिया गया है जो ऐन केन प्रकरणों को लेकर लोगों को दिग्भ्रमित करने वाले मामलो में संलिप्तता दिखाने में जी जान से लगे हैं । देखा जा रहा है कि शहर में पिछले काफी लंबे समय से शहर सहित शहर से लगे बेशकीमती जमीनों पर भू माफियाओं की नजर लगी हुई है इसमें यह बात भी काफी हद तक सही है कि इसमें कहीं ना कहीं राजस्व अमले की भागीदारी है चाहे वह संबंधित क्षेत्र के चर्चित पटवारी य राजस्व अधिकारी अब राजस्व विभाग के बड़े अफसरों और जनप्रतिनिधियों को समझना होगा कि छूट भैया नेता भूमाफिया दलालों की बातों में आकर जनसाधारण के होने वाले राजस्व के मामले जो कि पूर्व की भांति लगातार लंबित चाहते हैं या फिर गरीब जन साधारण और सामान्य सहित वास्तविक राजस्व मामलों के निराकरण करने वाले तहसीलदार रमेश कुमार मोर को नियमानुसार कार्य के निष्पादन करने देना चाहते हैं या जनहित कार्य मे रोड़ा बनने के असफल प्रयास में लगे रहना चाहते है।अब देखना है कि जन सामान्य के सहज कार्य वाले बिलासपुर के एक अच्छे अधिकारी की परख जनता को होती हैं या पुराने ढर्रे में कामकाज करने वाले अधिकारी की प्रतीक्षा रहेगी।
Breaking News