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November 24, 2024
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जंतर मंतर से केजरीवाल का RSS चीफ पर वार : पूछे 5 तीखे सवाल

 नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर ‘जनता की अदालत’ को संबोधित किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र की एनडीए सरकार की कड़ी आलोचना की। अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल भी पूछे, जिसमें पूछा कि क्या आरएसएस इस बात से सहमत है कि प्रधानमंत्री मोदी सीबीआई के डर का इस्तेमाल करके सरकारें गिरा रहे हैं।

RSS चीफ से केजरीवाल ने पूछे ये 5 सवाल

1- क्या आरएसएस मोदी के ईडी और सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें गिराने के तरीके से सहमत है?
2- मोदी ने सबसे भ्रष्ट नेताओं का भाजपा में स्वागत किया है। क्या आरएसएस मोदी के कामों से सहमत है?
3- क्या जेपी नड्डा के बयान से आरएसएस नाराज़ था?
4- क्या मोदी पर 75 साल का शासन लागू होगा?
5- भाजपा का जन्म आरएसएस से हुआ है। कहा जाता है कि यह सुनिश्चित करना आरएसएस की ज़िम्मेदारी है कि भाजपा अपने रास्ते से न भटके। क्या आप भाजपा के मौजूदा कामों से सहमत हैं? क्या आपने कभी मोदी को ऐसे कामों से बचने की सलाह दी है?

केजरीवाल बोले – ईमानदारी से चुनाव लड़कर दिखाया

AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अन्ना आंदोलन की शुरुआत 4 अप्रैल 2011 को जंतर-मंतर पर हुई थी। उस समय सरकार ने हमें चुनाव लड़ने और जीतने की अपनी क्षमता दिखाने की चुनौती दी थी। हमने चुनौती स्वीकार की और चुनाव में हिस्सा लिया। हमने देश में साबित कर दिया कि चुनाव ईमानदारी से लड़े जा सकते हैं और ईमानदारी से जीते जा सकते हैं। हमने सफलतापूर्वक शासन किया, मुफ्त बिजली और पानी दिया, महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा करने की अनुमति दी और मुफ्त इलाज की सुविधा दी। हमने बेहतरीन अस्पताल और स्कूल बनवाए। इन उपलब्धियों के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी बेचैन हो गए और उन्होंने हम पर झूठे आरोप लगाए, जिसके कारण हमें जेल जाना पड़ा।

दस साल तक चल सकता है शराब घोटाला मामला

केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति घोटाले का हवाला देते हुए कहा कि, वकीलों ने संकेत दिया है कि यह मामला दस साल तक चल सकता है। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा पर लगे इस दाग के साथ जीने में असमर्थता जताई, जिसके कारण उन्होंने सीधे जनता को संबोधित करने पर विचार किया। उन्होंने तर्क दिया कि अगर वे बेईमान होते, तो मुफ्त बिजली के लिए आवंटित तीन हजार करोड़ रुपये का गबन कर लेते, महिलाओं के लिए मुफ्त परिवहन की सुविधा नहीं देते और बच्चों के लिए स्कूल नहीं बनवाते। दरअसल, इस मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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