रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा पुलिस ने महादेव सट्टा ऐप की तर्ज पर संचालित डब्ल्यू फिफ्टी टू (डब्ल्यू 52) नामक गिरोह का राजफाश किया है। इस गिरोह के मुख्य आरोपित सुधीर गुप्ता को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। छापेमारी से पहले ही वह फरार हो गया था। उसके चार सहयोगी पकड़ में आए थे। न्यायालय से सुधीर को दो दिन की रिमांड पर लिया गया है। वहीं पुलिस की पूछताछ में आरोपित ने बताया है कि, जब्त एटीएम कार्ड, पासबुक, चेक बुक्, मोबाइल सिम, आधार कार्ड की मूल प्रति व छायाप्रति का उपयोग वह आनलाइन सट्टा तथा राशि लेन- देन के लिए किया करता था।
आरोपितों ने देश के 15 बैंकों की अलग-अलग शाखाओं में फर्जी तरीके से खाते खोलकर आनलाइन माध्यम से सट्टा की रकम का लेन देन किया है। सिर्फ बैंक आफ महाराष्ट्रा से ही 15 करोड़ के लेन देन की पुष्टि हुई है। अभी 14 बैंकों की अलग-अलग शाखाओं में संचालित खातों की जानकारी नहीं मिली है। पुलिस ने सभी बैंकों को पत्र लिखा है। बैंकों से मिलने वाली जानकारी बड़ा राज खोलेगी। पूरे प्रकरण में बैंकों की भूमिका भी पुलिस की जांच के दायरे में हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मास्टर माइंड सुधीर गुप्ता को विश्वास था कि सोमवार की रात गिरफ्तार उसके सहयोगियों को जमानत मिल जाएगी। इसी उम्मीद पर मंगलवार की रात वह अपने घर में आ गया था। इसी बीच पुलिस ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं इसके लिए पुलिस ने सूचना तंत्र को और मजबूत किया गया था। गुरुवार दिनभर उससे पूछताछ की गई। शाम को उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। मालूम हो कि इस गिरोह के सदस्यों के पास से पुलिस ने बड़ी संख्या में पासबुक फर्जी तरीके से खोले गए थे, खाते आरोपितों द्वारा छलपूर्वक दूसरे व्यक्तियों के नाम का आधार कार्ड, मोबाइल नंबर लेकर बैंक खाता खोले जाने की भी पुष्टि हुई है। इन फर्जी खातों से भी बड़ी राशि लेनदेन की गई है। कुछ लोगों जानकारी के बिना छलपूर्वक यह कार्य हुआ है। पूरी संभावना है कि, कुछ लोगों ने कमीशन के चक्कर भी आरोपितों को अपना बैंक खाता उपयोग करने दिया होगा।
बैंकों से अभी नहीं मिली है जानकारी
सरगुजा पुलिस द्वारा आनलाइन सट्टा के मामले में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की 14 बैंकों को पत्र जारी किया गया है। इसके माध्यम से बैंकों की अलग-अलग शाखाओं में संचालित बैंक खातों में हुए लेनदेन की जानकारी मांगी गई है। नगर निरीक्षक मनीष सिंह परिहार ने बताया अभी जानकारी अप्राप्त है। शाखा स्तर से सारी जानकारी बैंक की मुख्य शाखा को भेजी जाएगी फिर एकीकृत जानकारी से ही स्पष्ट हो सकेगा कि आरोपितों द्वारा कितने खातों में कितनी राशि का लेनदेन किया गया है। इस पूरी जानकारी में थोड़ा समय लग सकता है।