रायपुर। 6 महीने पुरानी विष्णुदेव सरकार के 3 महीने चुनाव में निकल गए। इस दौरान आचार संहिता की वजह से राज्य सरकार कोई नीतिगत निर्णय नहीं कर पाई। लेकिन अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म हो गई है। ऐसे में अब प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। साय सरकार अपने छह महीने के कामकाज की समीक्षा करने जा रही है। इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री साय खुद एक-एक विभाग के कामकाज की समीक्षा करेंगे। सीएम के इस निर्णय को आने वाले मानसून विधानसभा सत्र की तयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसके अलावा यूपी के हालिया चुनावी परिणाम को दखते हुए भी यह निर्णय लिया गया है।
पीएम पद के सपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने दिल्ली में मौजूद सीएम और डिप्टी सीएम
बता दें कि, सीएम साय और दोनों डिप्टी सीएम अरुण साव व विजय शर्मा इस वक्त दिल्ली में है। कल (9 जून) वहां नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का शपथ ग्रहण समारोह है। सीएम व डिप्टी सीएम शपथ ग्रहण समारोह के बाद रायपुर में लौटेंगे। इसके बाद विभागीय समीक्षा बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा। बताया जा रहा है कि समीक्षा बैठक के लिए पहले 10 जून का कार्यक्रम तय किया गया था, लेकिन सीएम के दिल्ली दौरा की वजह से इसे आगे बढ़ा दिया गया।
मुख्या सचिव को तयारी के निर्देश
अफसरों के अनुसार सीएम की समीक्षा बैठक के संबंध में मुख्य सचिव को पहले ही तैयारी करने के निर्देश जारी कर दिए गए थे। इसके आधार पर मुख्य सचिव ने सभी विभागों को एजेंडा जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि विभागों की समीक्षा मंत्रियों के हिसाब से होगी। एक मंत्री के सभी विभागों की एक ही दिन में समीक्षा होगा। सूत्रों के अनुसार एजेंडा में बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र के वादों के क्रियान्वयन भी शामिल है। पीएम आवास योजना के साथ मानूसन की तैयारी को लेकर भी विभागीय अफसरों के साथ चर्चा होगी। सूत्रों के अनुसार इसी साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव होने से हैं। इसे ध्यान में रखते हुए नगरीय प्रशासन विभाग को जनता से जुड़ी योजनाओं को लेकर पर डिटेल रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा गया है।
विधानसभा के मानसून सत्र की भी तैयारी
समीक्षा बैठकों के दौरान विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर भी चर्चा होगी। सूत्र बता रहे हैं कि नगरीय निकाय चुनाव ईवीएम से कराने और महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष पार्टी से कराने के संबंध में सरकार मानसून सत्र के दौरान संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। बता दें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया था।