December 14, 2025 12:02 pm

एलक्ट्रोल बांड से sbi ने भाजपा सरकार से की जमकर कमिशन खोरी

ईलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम (Electoral Bond Scheme) से राजनीतिक दलों को बेइंतहा चंदा मिला. अब जानकारी आई है कि इस स्कीम से SBI को भी फायदा हुआ. 2018 से लेकर 2024 तक चुनावी बॉन्ड की बिक्री करीब 30 चरणों में संपन्न हुई. इन चरणों के दौरान SBI ने तरह-तरह के शुल्क लगाए और केंद्रीय वित्त मंत्रालय को कमीशन के रूप में 10.68 करोड़ रुपये का बिल थमाया.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं रितु सरीन ने RTI के जरिए ये जानकारी हासिल की है. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, SBI द्वारा लगाए गए शुल्क अलग-अलग कीमतों के थे. सबसे कम शुल्क 1.82 लाख रुपये का था. वहीं सबसे अधिक शुल्क की कीमत 1.25 करोड़ रुपये थी. यह शुल्क 9वें चरण में लगाया गया था, जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कुल 4,607 इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गए थे.

SBI ने किया तगादा

बैंक ने शुल्क वसूलने के लिए वित्त मंत्रालय से लगातार तगादा भी किया. एक बार तो फरवरी 2019 में तत्कालीन SBI चेयरमैन रजनीश कुमार ने आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग को एक पत्र भी लिखा था. उस समय SBI को वित्त मंत्रालय से 77.43 लाख रुपये वसूलने थे.

इस पत्र में SBI के चेयरमैन ने यह भी बताया था कि आखिर कैसे इस कमीशन को तय किया जा रहा है. इसके तहत फिजिकल कलेक्शन पर प्रति ट्रांजैक्शन 50 रुपये और ऑनलाइन कलेक्शन पर प्रति ट्रांजैक्शन पर 12 रुपये की बात कही गई थी. चेयरमैन की तरफ से प्रति 100 रुपये पर 5.5 पैसे कमीशन की बात कही गई थी.

SBI की तरफ से यह भी कहा गया था कि कमीशन पर 18 प्रतिशत GST का भुगतान किया जाना चाहिए, वहीं एक मौके पर GST पर 2 प्रतिशत का TDS लगाने के लिए बैंक ने मंत्रालय से शिकायत की थी. 11 जून 2020 को भेजे गए एक ईमेल में SBI ने तुरंत उन 6.95 लाख रुपयों को वापस भेजे जाने की मांग की थी, जिन्हें 3.12 करोड़ रुपये के कमीशन भुगतान के एवज में काटा गया था.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक ठहराते हुए इसे रद्द कर दिया था. कोर्ट ने SBI को आदेश दिया था कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे और चुनाव आयोग इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे.

इस आदेश के बाद SBI ने जानकारी देने के लिए 18 जून तक का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने SBI से कहा था कि जानकारी तुरंत देनी होगी. इसके बाद SBI ने चुनाव आयोग को यह जानकारी सौंपी थी. बाद में बैंक से यह भी कहा गया था कि वो इस बात की भी जानकारी दे कि किस कंपनी और शख्स ने किस राजनीतिक दल को चंदा दिया. बाद में बैंक ने बॉन्ड के यूनीक नंबर्स की जानकारी भी चुनाव आयोग से साझा की थी.

BBC LIVE
Author: BBC LIVE

विज्ञापन