बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शराब कम्पनी भाटिया वाइंस पर नाराजगी जताई है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोर्ट हस्तक्षेप ना करे तो क्या लोगों को जहर पिलाएंगे। लोगों के जानमाल की चिंता भी है या नहीं। अब मामले की सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि, मुंगेली जिले के धूमा स्थित भाटिया वाइंस से निकलने वाले प्रदूषित पानी की वजह से शिवनाथ नदी में हजारों मछलियों की मौत हो गई थी। मीडिया की खबर पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। जनहित याचिका के रूप सुनवाई की जा रही है। मामले की सुनवाई के दौरान 30 जुलाई 2024 को पर्यावरण संरक्षण मंडल ने हाईकोर्ट को बताया कि जांच के लिए हाई पॉवर कमेटी बनाई गई है।
13 अगस्त को बोर्ड ने बताया कि 22 और 23 जुलाई को फैक्ट्री का निरीक्षण किया गया था। फैक्ट्री में शर्तों का उल्लंघन करना पाया गया है। जांच में यह भी पाया गया है कि जहां फैक्ट्री का जहरीला पानी छोड़ा जा रहा था वहां ऑक्सीजन का स्तर शून्य था। इस पर क्षेत्रीय कार्यालय ने 8 लाख 70 हजार रुपए जुर्माना लगाया और खामियों को दूर करने कहा। इधर भाटिया वाइंस ने सुनवाई के दौरान बताया कि पेनाल्टी जमा कर कमियां दूर कर ली गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीविजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि नियमों के अनुसार फैक्ट्री खोलने पर उचित आदेश जारी करने के लिए पर्यावरण प्रदूषण मंडल स्वतंत्र है।
ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के पहले दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि, कंपनी के प्लांट से निकलने वाली स्पिरिट के दुर्गंध और प्रदूषण से परेशान गांव वालों ने लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी भी प्रशासन को दी थी। इसमें धूमा, खजरी और मोहभट्टा के ग्रामीण शामिल थे. मतदान के ठीक पहले हरकत में आई जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों के सामने निजी कंपनी के प्लांट के प्रबंधकों को गंदा पानी बाहर छोड़ने से मना किया था। तब कहीं जाकर अफसरों की समझाइश के बाद नाराज ग्रामीणों ने मतदान में हिस्सा लिया था।