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जम्मू-कश्मीर: रुझानों में एनसी-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत, पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती ने हारी स्वीकारी

लगभग एक दशक बाद जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के अब तक के रुझानों ने काफी हद तक आगामी सरकार की तस्वीर स्पष्ट कर दी है. वर्तमान रुझानों के अनुसार परंपरागत पार्टियां ही आगे चल रही हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस कुल 42 सीट पर आगे चल रही है और कांग्रेस 9 सीट पर आगे है, दोनों पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा है. वहीं भाजपा 26 सीट पर आगे है, और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सिर्फ़ 3 सीट पर आगे है.

दशक भर पहले हुए तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन इस बार अपनी पारंपरिक सीट से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती पीछे चल रही हैं. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में वह अपनी हार स्वीकार कर चुकी हैं.

चुनाव के दौरान कयास लगाया जा रहा था कि जमात-ए-इस्लामी का चुनावी मैदान का प्रवेश और तमाम निर्दलीय प्रत्याशियों की उपस्थिति कश्मीर घाटी की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकती है. लेकिन, अब तक के रुझानों में केवल 7 निर्दलीय उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. चुनाव में सबसे अधिक सुर्खियां बटोरने वाले निर्दलीय उम्मीदवार सयर अहमद रेशी कुलगाम सीट से पीछे चल रहे हैं. रेशी को जमात-ए-इस्लामी का समर्थन प्राप्त था, जिसने 37 वर्षों बाद चुनावी राजनीति में दखल दिया था. कुलगाम से सीपीआई(एम) के मोहम्मद युसुफ तारिगामी आगे चल रहे हैं.

गौरतलब है कि परिणाम आने के तुरंत बाद उपराज्यपाल अपनी तरफ से पांच विधायक मनोनीत करेंगे. इन पांच में से दो कश्मीरी पंडित, दो महिला और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापितों का प्रतिनिधि होगा. मनोनीत विधायकों के पास वे सभी विधायी शक्तियां और विशेषाधिकार होंगे, जो चुने हुए विधायकों के पास होती हैं. इस तरह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विधायकों कुल संख्या 95 हो जाएगी.

ऐसे में जम्मू-कश्मीर के नेताओं में इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि बहुमत का आंकड़ा कुल 90 विधानसभा सीटों के हिसाब से 46 है या 95 विधायकों के हिसाब से 48.

तीन चरण में हुए थे मतदान

जम्मू-संभाग की 43 और कश्मीर संभाग की 47 सीटों पर तीन चरण (18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर) में मतदान हुए थे. तीनों चरण का कुल मतदान प्रतिशत 63.45% रहा.

जम्मू-कश्मीर में क़रीब एक दशक के लंबे इंतजार के बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं. इससे पहले साल 2014 में जब चुनाव हुए थे, तब जम्मू-कश्मीर में 87 विधानसभा सीटें हुआ करती थीं. 2014 में भाजपा और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी.

केंद्र सरकार के अगस्त 2019 के फैसले ने जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदल दी. तब मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर न सिर्फ जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया, बल्कि राज्य को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बांटकर अपने अधीन ले लिया यानी केंद्र शासित प्रदेश बना दिया.

एक्ज़िट पोल में क्या है?

एक्ज़िट पोल करने वाली अधिकतर कंपनियों ने भाजपा को कम से कम 20 सीट दी हैं. कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को 40 से 50 सीट मिलने की संभावना जताई गई है. पीडीपी के लिए यह संख्या 4-7 है.

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