December 14, 2025 10:51 am

महाकुंभ में दान दी गई बच्ची का संन्यास वापस

महंत 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित

प्रयागराज । प्रयागराज महाकुंभ में दीक्षा लेने वाली 13 साल की लडक़ी का संन्यास 6 दिन में ही वापस हो गया। दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े से 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने नाबालिग को गलत तरीके से शिष्य बनाया था।श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक हरि गिरि महाराज ने कहा- यह अखाड़े की परंपरा नहीं रही है कि किसी नाबालिग को संन्यासी बना दें। इस मुद्दे पर बैठक कर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है।

माता-पिता के साथ कुंभ आई थी
नाबालिग लडक़ी आगरा की रहने वाली है। वह 5 दिसंबर को परिवार के साथ महाकुंभ आई थी। नागाओं को देखकर उसने संन्यास लेने का फैसला किया। परिवार के साथ घर जाने से मना कर दिया था। बेटी की जिद पर माता-पिता ने भी उसे जूना अखाड़े के महंत कौशलगिरि को दान कर दिया। इसके बाद लडक़ी को पहले संगम स्नान कराया गया। संन्यास के बाद उसका नाम बदल दिया गया। नया नाम रखा गया।

19 को महाकुंभ में होना था उसका पिंडदान
19 जनवरी को नाबालिग का पिंडदान होना था। महामंडलेश्वर महंत कौशल गिरि ने लडक़ी के पिंडदान कराने की भी तैयारी कर ली थी, लेकिन इससे पहले अखाड़े की सभा ने यह कार्रवाई कर दी। दरअसल, संन्यासी बनने के दौरान खुद का पिंडदान करने की परंपरा है। नाबालिग लडक़ी के पिता पेठा कारोबारी हैं। पूरा परिवार आगरा में रहता है। परिवार श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि से कई सालों से जुड़ा है। परिवार में माता-पिता और दो बेटियां है। दोनों बहनें आगरा के कान्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं। संन्यासी बनने वाली नाबालिग नौवीं में और उसकी छोटी बहन दूसरी क्लास में पढ़ती है।

BBC LIVE
Author: BBC LIVE

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