नई दिल्ली: रोहिणी क्षेत्र में रहने वाले 72 वर्षीय सेवानिवृत्त इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट करके करीब 10.30 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बना लिया गया। आरोपितों ने बुजुर्ग को आठ घंटे तक ऑनलाइन धमकियां दीं, उनका मानसिक शोषण किया और उनके बैंक खातों से करोड़ों रुपये ट्रांसफर करवा लिए। जब उनके खातों में पैसे खत्म हो गए, तो ठगों ने बुजुर्ग के विदेश में रह रहे बेटे-बेटी से भी पैसे मांगने का दबाव डाला।
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि 29 सितंबर को एक पार्सल कंपनी के अधिकारी के नाम से उन्हें एक कॉल आई थी। फोन करने वाले ने दावा किया कि उनके पार्सल में प्रतिबंधित दवाइयां ताइवान से आ रही हैं। इसके बाद उसने कथित मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी का नाम लेते हुए एक व्यक्ति से बात कराई। आरोपी ने बुजुर्ग से मोबाइल फोन में स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा और फिर वीडियो कॉल पर उनके परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी हासिल की।
इसके बाद, आरोपितों ने उन्हें डराया और धमकाया कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगे, तो उनके बेटे और बेटी को भी फंसा दिया जाएगा। इसी दौरान डिजिटल अरेस्ट करके बुजुर्ग से पैसे ट्रांसफर कराए गए। ठगों ने पहले ठगी की रकम को सात-आठ बैंक खातों में जमा किया और फिर उसे एक हजार से अधिक खातों में भेज दिया। कई खातों में करीब 60 लाख रुपये को फ्रीज भी कर दिया गया है।
पीड़ित इंजीनियर ने 1972 में रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया था और कई कंपनियों में उच्च पदों पर काम किया। उनका बेटा दुबई में और बेटी सिंगापुर में रहती हैं। ठगी के बाद, आरोपितों ने उन्हें डराकर बेटे-बेटी से पैसे मंगवाने के लिए दबाव बनाया, जिससे पूरा परिवार मानसिक रूप से परेशान हो गया। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और कई बैंक खातों को फ्रीज करने के साथ-साथ ठगों के नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
दूसरा मामला
ठगी के बाद साइबर पुलिस ने 12 राज्यों में ट्रांसफर हुए 53 लाख रुपये का पता लगाया, राजनांदगांव में आरोपी गिरफ्तार
12 नवंबर को दिल्ली की एक बुजुर्ग महिला एमवीवीएस लक्ष्मी ने साइबर ठगी की घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद साइबर थाने ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ठगों द्वारा 53 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए बैंकों की जांच शुरू की। पुलिस ने पाया कि ठगों ने मात्र दो घंटे में पूरे पैसे 12 राज्यों के दस बैंकों में ट्रांसफर कर दिए थे।
जांच के दौरान पता चला कि ठगों ने पैसे को 20 हिस्सों में बांटकर उन्हें अलग-अलग बैंकों में ट्रांसफर किया। दिल्ली, पंजाब, और आंध्र प्रदेश के बैंकों में 9 लाख 50 हजार रुपये की रकम ट्रांसफर की गई, जबकि बाकी रकम को विभिन्न बैंकों में छोटे-छोटे ट्रांजेक्शन्स के जरिए भेजा गया। हैरानी की बात यह है कि किसी भी बैंक में पैसे आधे घंटे से ज्यादा नहीं रुके; उन्हें तुरंत दूसरे राज्यों के बैंकों में ट्रांसफर कर दिया गया।
पुलिस टीम ने पूरी जांच के बाद राजनांदगांव में एक ट्रांजेक्शन का पता लगाया, जहां से पैसे निकाले गए थे। वहां पहुंचने पर पुलिस ने आरोपी जसविंदर को गिरफ्तार किया। जसविंदर और उसके साथियों ने बुजुर्ग महिला को ठगकर एक जालसाजी की थी, जिसमें पैसे ट्रांसफर करने के बाद उन्हें तुरंत निकाला जा रहा था, ताकि ठगी की रकम को ट्रैक करना मुश्किल हो सके।
पुलिस ने सभी ट्रांजेक्शन्स की जांच कर और बैंकों से संपर्क करके ठगों का नेटवर्क खंगालने की कोशिश की। आरोपी जसविंदर के पकड़े जाने के बाद पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे ठगों ने साइबर अपराधों में अपनी तकनीकी साजिशें छिपा रखी हैं, और पुलिस इस मामले में पूरी तरह से सतर्क है ताकि और कोई नागरिक ठगी का शिकार न हो सके।