छत्तीसगढ़ में पहली कक्षा के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम को 16 स्थानीय बोलियों में तैयार किया जाएगा। जो अगले सत्र से प्रयोग के तौर पर लागू होगा।
इसका उद्देश्य बच्चों पर स्थानीय बोली के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना है। इससे न केवल बच्चों को पुस्तकीय भाषा को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी, बल्कि पीछे छूट रही स्थानीय भाषाओं का सरंक्षण भी होग।
इस पहल से बच्चों में स्थानीय भाषा के प्रति लगाव बढ़ेगा। अब तक 23 स्थानीय बोलियों की पहचान की गई है और छत्तीसगढ़ की 16 भाषाओं का का अनुवाद किया गया है।
अपनी भाषा में कर सकेंगे पढ़ाई
इस नई पहल के तहत छात्रों को उनकी स्थानीय बोली में पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, ताकि वे अपनी भाषा में पढ़ाई को सहज और सरल अनुभव कर सकें। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार करना और छात्र की शैक्षिक योग्यता को बढ़ावा देना है।
घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे राज्य के बच्चों को उनकी संस्कृति और मातृभाषा से जोड़ते हुए उन्हें एक अच्छी शैक्षिक आधार प्रदान करने का यह महत्वपूर्ण प्रयास है।
इस पहल से बच्चों में स्थानीय भाषा के प्रति लगाव बढ़ेगा। अब तक 23 स्थानीय बोलियों की पहचान की गई है और छत्तीसगढ़ की 16 भाषाओं का का अनुवाद किया गया है।
अपनी भाषा में कर सकेंगे पढ़ाई
इस नई पहल के तहत छात्रों को उनकी स्थानीय बोली में पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, ताकि वे अपनी भाषा में पढ़ाई को सहज और सरल अनुभव कर सकें। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार करना और छात्र की शैक्षिक योग्यता को बढ़ावा देना है।
घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे राज्य के बच्चों को उनकी संस्कृति और मातृभाषा से जोड़ते हुए उन्हें एक अच्छी शैक्षिक आधार प्रदान करने का यह महत्वपूर्ण प्रयास है।