छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए IED विस्फोट में छत्तीसगढ़ पुलिस के बहादुर और अनुशासित अधिकारी एडिशनल एसपी आकाश राव गिरपुंजे शहीद हो गए। इस हमले में डीएसपी भानुप्रताप चंद्राकर और इंस्पेक्टर सोनल ग्वाला सहित कई जवान घायल हुए हैं। नक्सली हमले की यह घटना राज्य में सुरक्षा व्यवस्था और नक्सल उग्रवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों के बीच एक बड़ा आघात है।
बहादुरी के लिए मिला था वीरता पदक
आकाश राव गिरपुंजे 2013 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी थे और उन्हें अपनी बहादुरी के लिए वीरता पदक से भी सम्मानित किया गया था। वे मूल रूप से महाराष्ट्र से थे, लेकिन उनका परिवार कई वर्षों से रायपुर में निवास कर रहा है। पुलिस सेवा में आने से पहले वे बैंक में अधिकारी थे और नौकरी के दौरान ही CGPSC परीक्षा पास कर पुलिस सेवा में शामिल हुए।
नक्सल क्षेत्रों में रहा लंबा अनुभव
ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में हुई, जहां उन्होंने कई सफल ऑपरेशन में हिस्सा लिया। इसके बाद वे मानपुर और पाटन में एसडीओपी रहे, जहां भी नक्सलियों के खिलाफ उनके साहसिक अभियानों ने उन्हें पहचान दिलाई। रायपुर में एडिशनल एसपी के रूप में उन्होंने लॉ एंड ऑर्डर में शानदार काम किया और क्राइम इन्वेस्टिगेशन में उनकी दक्षता कोउनके साथी आज भी याद करते हैं।
कोंटा में निभा रहे थे बड़ी जिम्मेदारी
2024 विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें एक बार फिर नक्सल क्षेत्र का दायित्व सौंपा गया और वे कोंटा के एडिशनल एसपी बनाए गए। यहां वे लगातार नक्सल विरोधी अभियानों में जुटे हुए थे।
पैदल गश्त के दौरान हुआ हमला
8 जून को आकाश राव गिरपुंजे डीएसपी भानुप्रताप चंद्राकर, इंस्पेक्टर सोनल ग्वाला और अन्य जवानों के साथ नक्सलियों द्वारा वाहन जलाने की घटना की जांच करने पैदल गश्त पर निकले थे। इसी दौरान हुए IED विस्फोट में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया और शहीद हो गए।
42 वर्षीय शहीद अफसर की वीरगाथा बनी मिसाल
42 वर्षीय आकाश राव गिरपुंजे छत्तीसगढ़ पुलिस के उन वीर योद्धाओं में शामिल हैं, जिन्होंने मानपुर-मोहला और सुकमा जैसे अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में साहसिक सेवाएं दीं। उनका बलिदान पुलिस विभाग ही नहीं, पूरे राज्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके शौर्य और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा।