रायपुर : हर महिला के जीवन का सपना मां बनने का होता है। इसीलिए मातृत्व को सबसे बड़ा सुख माना गया है और वात्सल्य-भाव को एक रस की श्रेणी में रखा गया है। इसी सपने को पूरा करने की चाह में कई महिलाओं ने जगह-जगह इलाज कराया, मंदिर-देवता तक पहंची, लेकिन मां बनने की आस पूरी नहीं हुई। ऐसे में उन्हें दुविधाएं सताने लगी। आखिर वर्षों बाद उनकी अरदास सुन ली गई। विज्ञान के चमत्कार से के घर में किलकारी गुंजी है, दंपत्ति का नाम प्रफुल्ला ठाकुर पति राधेश्याम ठाकुर है, दोनों ग्राम- हथीबहारा,विकासखंड बागबाहरा, जिला महासमुंद के निवासी है.
दंपत्ति ने बताया कि उनकी शादी को 11 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन बच्चों के लिए वह वर्षों से तरस रहे थे, कई जगह इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद उनके गांव के ही डॉक्टर ने रायपुर के अशोका एडवांस आईवीएफ हॉस्पिटल के बारे में बताया इसके बाद साल 2023 में दोनों अस्पताल पहुंचे, वहां उनकी मुलाकात डॉक्टर सुरेश अग्रवाल,डॉक्टर मधुप्रिता अग्रवाल और डॉक्टर रत्ना अग्रवाल से हुई, उन्होंने दंपत्ति को आईवीएफ अपनाने की सलाह दी, जिसके बाद दोनों का इलाज शुरू हुआ और अब उनके घर एक नन्हे राजकुमार ने जन्म लिया है. दोनों ने अपना अनुभव से बताते हुए कहा कि हम वर्षों से बच्चे के लिए परेशान थे, अशोका एडवांस्ड आईवीएफ हॉस्पिटल की मदद से आज हमारे घर में किलकारी गूंजी है, जिसके बाद हमारे घर वाले और हमारे दोस्त यार बहुत खुश है वही दोनों ने ऐसे लोगों को सलाह दिया है जिनके घर बच्चे नहीं हो पा रहे हैं, उनका कहना है कि वह एक बार जरूर अशोक एडवांस आईवीएफ हॉस्पिटल पहुंचे और यहां के डॉक्टर से सलाह ले और आईवीएफ अपनाए जिससे उनके घर में भी किलकारी गूंज सके.
वही इस अवसर पर हमने के डायरेक्टर और डॉक्टर सुरेश अग्रवाल से बात चीत की उन्होंने अशोका एडवांस आईवीएफ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की जर्नी के बारे में बताते हुए कहा की पिछले 35 साल में हमारे अशोका हॉस्पिटल के माध्यम से छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य प्रांतों के 35 हजार से ज्यादा परिवार के घरों में बच्चों की किलकारी गूंजी है और दम्पत्तियों को बांझपन के सामाजिक दंश से मुक्ति मिली है.उन्होंने कहा के अशोका हॉस्पिटल की इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया है.
क्या होता है IVF-
आज के समय में, खान-पान से लेकर रहन-सहन तक, सभी चीजें बदल गई हैं। लोगों के जीवन-जीने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। जिसका असर महिलाओं के प्रेग्नेंसी पर भी पड़ता है। इन सब के कारण महिलाओं को कंसिव करने में भी दिक्कतें आती है। यदि कंसिव हो भी जाये तो मिसकैरेज जैसी समस्याएं हो जाती है या प्रेग्नेंसी सफलता पूर्वक नहीं हो पाती है। ऐसे समस्याओं से ही निजात पाने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट किया जाता है।
आइवीएफ को इन विट्रो फर्टीलाइजेशन के नाम से भी जाना जाता है। जब महिला का शरीर ऐग को फर्टिलाइज करने में सक्षम नहीं होता है, तो उसे लैब में फर्टीलाइज कराया जाता है। इसमें महिला के ऐग्स और पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है। एक बार जब इसके संयोजन से भ्रूण का निर्माण हो जाता है, तो उसे वापस महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहे तो, आईवीएफ ट्रीटमेंट स्त्री के ऐग और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निमार्ण किया जाता है। उसके बाद उस भ्रूण को वापस महिला के गर्भाशय में स्थानांतरिक दिया जाता है। इसे आईवीएफ कहते हैं। आईवीएफ को हिंदी में भ्रूण प्रत्यारोपण भी कहा जाता है और आईवीएफ के द्वारा जन्में शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।