अब्दुल सलाम क़ादरी-प्रधान संपादक
छत्तीसगढ़/रायपुर. छत्तीसगढ़ के PCCF के पद के खींचतान में लगे खिलाड़ी कोर्ट से लेकर दिल्ली की दौड़ लगा रहे है, कल तक सभी पात्र अपनी सामर्थ्य के हिसाब से सभी अपने अपने लिए जोड़तोड़ में लगे थे,
चुनाव सम्पन्न होते ही लोग BJP के ग़द्दावर विधायक जो मंत्री बनने के लिए पार्टी में ताकत रखते थे, जैसे – अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल, अरुण साव, सहित डॉ रमन सिंह जी के बंगले के चक्कर लगने चालू हो गए,
इन सभी लोगों से किसी एक ने कहा कि अगर मुझे PCCF बनाया जाएगा तो BJP के लिए अच्छे काम किया जाएगा, किसी एक नए कहा कि मैं पार्टी सहिंत मंत्री को लेकर चलूंगा, एक नए ने कहा कि सीनियारिटी में मैं सबसे सिनियर हूँ, किसी ने कहा सरकार जिसको बनाएगी वह ही सहीं है, एक ऐसा ऑफिसर भी सामने आया जिसने कहा कि आपको जो गारेंटी चाहिए मैं वो देने तैयार हूं, पार्टी को,मंत्री को, विधायक को, कार्यकर्ता को यहाँ तक दिल्ली को जो चाहिए मैं वो पूरा करूंगा मुझे छत्तीसगढ़ का वनबल प्रमुख तथा PCCF रहने दिया जाए।
जिसमें सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ के सभी ग़द्दावर नेता व मंत्री सहित दिल्ली में भी मैनेजमेंट में जीत पा ली गई थी, पर एक समय कवर्धा के BJP नेता को साधारण समझने की भूल ने आज उस हाथी के सूढ़ में ऐसी खुजली की की मत पूछिए, पसीना तो छोड़िए पूरे शरीर ने ही पानी छोड़ दिया।
खैर …. वर्तमान में दिल्ली से रेड सिग्नल के बाद वनबल प्रमुख एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री व्ही श्रीनिवास राव ने हार मानकर, नो लॉस नो प्रॉफिट की तर्जपर अपनी दुकानदारी समेटने में लगें हैं।
इसी तारतम्य में विगत दो दिन पुर्व दो दिवसीय प्रवास श्री राव बस्तर दौरे में पहुँचें, पहले दिन सुकमा,दंतेवाड़ा और बस्तर वनमंडल की रेंजर SDO और DFO की मीटिंग बुलाई गई,
दूसरे दिन बीजापुर के सामान्य और वन्यप्राणी वनमंडलो की बैठक रखी गई, दोनों ही बैठकों का एक ही एजेंडा था वह यह कि उन्हें PCCF बने रहने व सरकार के साथ सामंजस्य स्थापित करने जिसे सिस्टम कहते हुवे सिष्टम को चलाने के लिए चंदा/वसूली। हालांकि श्री राव ने बैठक तक हार नही मानी थी, वे लगातार अपने बैठक में मैं हूँ-मैं ही रहूंगा की तर्ज पर पूरे दबंगता के साथ अपने अधीनस्थों को संबोधित करते रहे, मानना होगा वे दोनों दिन अधीनस्थों को विभागीय बजटों को कैसे निपटाना है, उस बजट को निपटाने में क्या समस्या है उसे कैसे दूर किया जाएगा, कितना काम, कितना इनाम, का बटांकन भी उन्होंने बहुत ही सरल तरीके से कर दी।
बजट बटांकन के रास्ते में आने वाले रोढे मतलब बजट को समाप्त करने बनने वाले फर्जी प्रमाणक को बनाने वाले रेंजर्स या उस फर्जी प्रमाणक की प्रिपास न करने वाले SDO इसी प्रकार बजट का बटांकन अर्थात सहीं रेसो में बंदरबांट न होने पर DFO को रगड़ने अर्थात उन्हें भी ठीक करने का उनके पास गुरुमंत्र होने की बात भी कही गई है, इसका जीताजागता उदाहरण उन्होंने बस्तर वनमंडल का दिया, जिसमें पिछले वर्ष लगभग एक करोड़ की वसूली हुई थी, इसी तरह एक ऐसे निकम्मे अधिकारी जो अपने वनमंडल के 60 से 70 प्रतिशत कर्मचारियों को CR में *घ* दिया था ऐसे अधिकारी से बलौदाबाजार के एक SDO के खिलाफ एक फर्जी जांच रिपोर्ट में कार्यवाही करने की बात कही गई,
इन सब के बाद विभागीय सूत्रों की माने तो श्री राव PCCF के भांजे बीजापुर DFO श्री रंगनाथन ने बात रखी कि बीजापुर में फरवरी में 6 करोड़ का बजट दिया गया है, आज 11-12 तारीख हो चुका, चंदे की रकम कैसे निकाला जाए क्योंकि कैम्पा का एलॉटमेंट लेट आता है और चेक काटने का मात्र 20 फरवरी तक का समयावधि है ।
साथ ही एक रेंजर्स को एक दिन में 10 लाख तक का चेक देने के प्रावधान होने से भी नियमानुसार बजट की सम्पूर्ण राशि का आहरण नही हो पाने की बात कही गई। तब इस समस्या से निजात पाने श्री राव ने तत्काल सिर्फ बीजापुर वनमंडल के लिए एक ऐसी चिट्ठी निकलवा दी जिसमे बजट समाप्ति की समय सीमा को 20 से बढ़ाकर 28 फरवरी तथा एक रेंजर को एक दिन में 10 लाख से अधिक नही दिए जाने के प्रावधान को शिथिल कर 20 लाख कर दिया गया। ऐसे है हमारे राव साहब जो तत्काल समस्या समाप्त करने की ताकत रखते हैं, पर यही ताकत अन्य विभागीय कार्यो में धीमा रहना समझ से परे हैं। उक्त लेटर को यहां पढा जा सकता है देखे पत्र……