रायपुर। छत्तीसगढ़ में 26 जनवरी से पहले नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं। 31 दिसंबर तक चुनाव की तिथि घोषित होने की संभावना जताई जा रही है। पंचायत चुनाव फरवरी- मार्च तक टाले जाने की उम्मीद है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित होने के बाद चर्चा थी कि, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। जिन निगमों में कार्यकाल समाप्त हो रहे हैं, वहां प्रशासक नियुक्त होंगे।
सूत्रों का कहना है कि, भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि, प्रशासन नियुक्त किए जाने से पार्टी को नुकसान होगा। पूर्ववर्ती सरकार की कारगुजारियों का ठीकरा सरकार के सिर पर फूट सकता है। अभी विपक्ष के पास एक केवल धान खरीदी का ही मुद्दा है। चुनाव में विलंब होने पर विपक्ष को मुददे बनाने का समय मिल जाएगा। राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से लोग खुश है। जिसका असर चुनाव में मिल सकता है। यही कारण है कि, 26 जनवरी से पहले निकाय चुनाव करने की रणनीति भी बन गई है। वहीं रायपुर नगर निगम सहित सभी निकायों में आरक्षण की प्रक्रिया अधूरी है। जिसे अधिकारियों को 30 दिसंबर तक पूरा करने के निर्देश दिए गए है।
14 में 10 निगमों में होना है चुनाव
आपको बता दें कि, राज्य के 14 नगर निगमों में से 10 में चुनाव होना है। इनमें अंबिकापुर, धमतरी, कोरबा, बिलासपुर, चिरमिरी, राजनांदगांव, जगदलपुर, रायगढ़, दुर्ग और रायपुर शामिल है। रिसाली, भिलाई, बीरगांव और भिलाई-चरोदा में अभी चुनाव नहीं होंगे। 14 में से 13 निगमों में कांग्रेस की शहरी सरकार है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जशपुर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि, प्रदेश में नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। सरकार समय पर चुनाव कराने के लिए तैयार है।
25 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे प्रत्याशी
इसके आलावा छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन व विकास विभाग ने महापौर, पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रचार में खर्च की जाने वाली राशि की सीमा बढ़ा दी है। इस आशय की अधिसूचना को राजपत्र में भी प्रकाशित कर दिया गया है। ऐसे नगर निगम जहां 2011 की जनगणना के अनुसार, आबादी पांच लाख से ज्यादा है, वहां उम्मीदवार 25 लाख रुपये तक खर्च कर सकते हैं। पहले यह सीमा 20 लाख रुपये तक थी। वहीं तीन लाख से पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र के उम्मीदवार 20 लाख तक खर्च कर सकते हैं। पहले यह सीमा 15 लाख थी। वहीं तीन लाख से कम वाले आबादी क्षेत्र के उम्मीदवार अब 10 लाख की जगह 15 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। वहीं, नगर पालिका परिषदों में 50 हजार या इससे अधिक आबादी वाले क्षेत्र में अध्यक्ष के उम्मीदवार अब आठ लाख की जगह दस लाख और 50 हजार से कम वाले क्षेत्र में छह लाख की जगह आठ लाख रुपये तक खर्च कर सकते हैं।
प्रदेश में चुनाव तक नियुक्ति और तबादले पर लगेगी रोक
वहीं प्रदेश में आगामी निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव के कारण राज्य सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग ने चुनाव आचार संहिता को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके अनुसार, चुनाव की घोषणा होते ही सरकारी नियुक्तियों और तबादलों पर रोक लग जाएगी। आपको फिर से याद दिला दें कि, 31 दिसंबर को चुनाव तारीखों की घोषणा होने की संभावना है। यदि इस दिन घोषणा नहीं होती है, तो चुनाव प्रक्रिया एक महीने तक टल सकती है, क्योंकि 1 जनवरी से नई मतदाता सूची पर काम शुरू हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग जल्द चुनाव कार्यक्रम जारी कर सकता है।
नेता मंत्रियों पर भी कड़ी रोक
मंत्रियों के लिए यह है निर्देश गाइडलाइन में मंत्रियों के लिए भी कड़े निर्देश दिए गए हैं। मंत्री के निजी दौरों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल नहीं लगाया जाएगा। सरकारी रेस्ट हाउस में मंत्री केवल अधिकारियों और कर्मचारियों से ही मिल सकते हैं। निजी स्थान पर किसी से मिलने की अनुमति नहीं होगी।
अवकाश के लिए कलेक्टर की अनुमति जरूरी
आपको बता दें कि, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने 14 पन्नों की गाइडलाइन जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि, चुनाव घोषणा के बाद आदर्श आचार संहिता लागू होगी। इस दौरान शासकीय कर्मचारियों अधिकारियों को अवकाश के लिए कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य होगी। वहीं, चुनाव के दौरान सरकार के मंत्री नई घोषणाएं नहीं कर सकेंगे और भूमिपूजन या उद्घाटन कार्यक्रमों में हिस्सा भी नहीं ले सकेंगे।