13.5 C
New York
April 19, 2025
अंतर्राष्ट्रीयकरप्शनछत्तीसगढ़राज्यराष्ट्रीय

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में अपीलार्थियों को नहीं मिल रही समय पर जानकारी

  • सूचना अधिकार अधिनियम की पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल, अपील के निराकरण में लग रहा 3 से 4 वर्ष का समय

रायपुर | अब्दुल सलाम क़ादरी/विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत दायर अपीलों के निराकरण में अत्यधिक देरी की जा रही है। अपीलार्थियों को वर्षों तक जवाब नहीं मिल पा रहा, जिससे अधिनियम की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थिति यह है कि कई मामलों में अपीलों का निपटारा होने में 3 से 5 साल का समय लग रहा है, जिससे सूचना का महत्व ही खत्म हो जाता है।

जन सूचना अधिकारियों पर खत्म हो रहा भय का माहौल

RTI कानून लागू होने के बावजूद जन सूचना अधिकारी (PIO) आयोग के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। अपीलकर्ताओं को समय पर जानकारी देने के बजाय वे मामलों को टालते रहते हैं। जब राज्य सूचना आयोग आदेश जारी करता है, तब भी कई PIO उसका पालन नहीं करते, जिससे पारदर्शिता की उम्मीद लगाए बैठे आम नागरिकों को निराशा हाथ लगती है।

सूचना अधिनियम की धारा 7(1) के तहत PIO को आवेदन मिलने के 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध करानी होती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह समयसीमा उल्लंघित की जा रही है। वहीं, धारा 7(2) के अनुसार यदि कोई PIO 30 दिनों के भीतर सूचना नहीं देता, तो उसे देरी का स्पष्ट कारण बताना होता है। परंतु अधिकांश अधिकारी इस प्रावधान की अनदेखी कर रहे हैं।

4 साल बाद सूचना का नहीं रहता महत्व

सूचना के अधिकार का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को त्वरित और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना है ताकि वे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकें। लेकिन जब सूचना 3-4-5 साल बाद मिलती है, तब तक उसका महत्व ही समाप्त हो जाता है। कई मामलों में अपीलकर्ता जो जानकारी मांगते हैं, वह देरी के कारण अप्रासंगिक हो जाती है।

उदाहरण के तौर पर, किसी सरकारी परियोजना के टेंडर की जानकारी यदि 4 साल बाद मिले, तो उसका कोई उपयोग नहीं रह जाता। इसी तरह, यदि किसी भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी देरी से दी जाती है, तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी से जवाबदेही तय करना कठिन हो जाता है।

आयोग के आदेशों की अवमानना के मामलों में भी देरी

यदि कोई जन सूचना अधिकारी सूचना देने से इनकार करता है और सूचना आयोग का आदेश भी नहीं मानता, तो आयोग के पास अवमानना की शिकायत करने का प्रावधान है। लेकिन यहाँ भी अपीलार्थियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। जब आयोग किसी PIO को नोटिस जारी करता है, तो उस पर भी सालो तक कोई कार्रवाई नहीं होती।

सूचना अधिनियम की धारा 20(1) के तहत यदि कोई PIO गलत जानकारी देता है या सूचना देने से इनकार करता है, तो उसे ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इस प्रावधान को सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा। जिससे आयोग की मंशा पर ही सवाल उठ रहे है?

प्रथम अपील अधिकारी भी नहीं निभा रहे जिम्मेदारी

सूचना अधिनियम के तहत यदि कोई आवेदक निर्धारित समय में सूचना प्राप्त नहीं करता, तो वह प्रथम अपील अधिकारी के पास शिकायत कर सकता है। लेकिन यहाँ भी लापरवाही देखने को मिल रही है। 90 परसेंट अपीलीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं ले रहे और PIO को बचाने में लगे रहते हैं।

अपीलीय अधिकारी को 45 दिनों के भीतर 1 अपील का निपटारा करना होता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश अपीलों में महीनों से लेकर सालों तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता। कई अपीलकर्ता तो प्रथम अपील अधिकारी के कार्यालय के चक्कर काटते-काटते थक जाते हैं, लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।

सूचना आयोग की निष्क्रियता बनी बड़ी समस्या

राज्य सूचना आयोग को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़ा रुख अपनाना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। आयोग में लंबित अपीलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और अधिकारी इनका समय पर निपटारा करने में विफल हो रहे हैं।

सूचना आयोग के पास यह अधिकार है कि वह PIO को सूचना देने के लिए बाध्य करे और दोषी अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई करे। लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण सरकारी विभागों में RTI के प्रति गंभीरता खत्म हो रही है। आयोग भी सिर्फ कोरम पूरा करने में लगा रहता है।

जन सूचना अधिकारियों की मनमानी बनी RTI अधिनियम के लिए खतरा

छत्तीसगढ़ में सूचना अधिकार अधिनियम लागू तो है, लेकिन इसकी आत्मा कहीं खो गई है। RTI कानून का उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाना था, लेकिन जन सूचना अधिकारियों की मनमानी और सूचना आयोग की निष्क्रियता के कारण यह कानून कमजोर होता जा रहा है। और जनसूचना अधिकारियों की मनमानी चरम पर है?

यदि सरकार और सूचना आयोग ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया, तो RTI अधिनियम मात्र एक कागजी कानून बनकर रह जाएगा, और आम नागरिकों को सूचना प्राप्त करने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा।

समाधान क्या हो?

1. सूचना आयोग को सख्ती बरतनी होगी – आयोग को लंबित अपीलों के निपटारे के लिए समय-सीमा तय करनी होगी और दोषी अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी।

2. जन सूचना अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई – आदेश की अवहेलना करने वाले PIO पर ₹25,000 तक का जुर्माना तत्काल लगाया जाना चाहिए।

3. प्रथम अपील अधिकारियों की जवाबदेही तय हो – यदि कोई FAA अपीलों को लंबित रखता है, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए।

4. RTI जागरूकता अभियान चलाया जाए – आम जनता को यह जानकारी होनी चाहिए कि वे सूचना न मिलने पर क्या कदम उठा सकते हैं।

5. सूचना आयोग में स्टाफ बढ़ाया जाए – लंबित अपीलों की संख्या को देखते हुए आयोग में अतिरिक्त अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में अपीलार्थियों को न्याय मिलने में कई सालों लग रहे हैं, साथ ही कई सालों बाद भी जानकारी तो दूर आयोग अपील ही खारिज कर देता है? जिससे सूचना अधिकार अधिनियम की मूल भावना प्रभावित हो रही है। जन सूचना अधिकारियों की लापरवाही और आयोग की निष्क्रियता के कारण इस कानून की प्रभावशीलता खत्म होती जा रही है। सरकार और आयोग को इस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा, अन्यथा सूचना का अधिकार कानून अपनी अहमियत खो देगा और आम नागरिकों की पारदर्शिता की उम्मीद धूमिल हो जाएगी।

नोट-छत्तीसगढ़ के वन विभाग, pwd, स्वास्थ्य, phe विभाग के कुछ pio और उनके अपीलीय अधिकारियों का कहना है कि हमारी सेटिंग आयोग में बेहतर है?? अब इस मामले में आयोग ही बता सकता है कि किस प्रकार की सेटिंग आयोग ने pio और अपीलीय अधिकारियों से कर रखी है? इसकी जांच होनी चाहिए।

Related posts

BCCI का बड़ा फैसला: राजस्थान के कप्तान पर लगा लाखों रुपये का जुर्माना, जानें क्या थी वह गलती जिसने बढ़ाई मुश्किलें!

bbc_live

Andhra Pradesh Amaravati : मैं अमरावती हूं…9 साल से मेरी जिंदगी वीरान थी, मुझे भुतहा कहा गया…मेरी कहानी सुनेंगे

bbc_live

CM साय ने रायपुर से बिलासपुर तक ट्रेन से किया सफर, ट्रेन में खाई मूंगफली ,बोले- इसके बिना भारतीयों की रेल यात्रा अधूरी

bbc_live

जम्मू-कश्मीर के सोपोर में सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को घेरा, ऑपरेशन जारी

bbc_live

IMD अलर्ट : बंगाल की खाड़ी से उठी ‘आफत’ की ओर बढ़ रहे बादल, बिहार-यूपी समेत कई राज्यों में भारी बारिश का खतरा

bbc_live

Nexus of Good  फाउंडेशन अवॉर्ड्स 2024-मनेंद्रगढ़ DFO मनीष कश्यप को “महुआ बचाओ अभियान के लिए नई दिल्ली में अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया

bbc_live

Divorce: एक और क्रिकेटर की शादी खत्म! तलाक का फैसला सुनने मुंह छिपाकर बांद्रा कोर्ट पहुंचे युजवेंद्र चहल-धनश्री

bbc_live

Virat Kohli : सचिन-ब्रैडमैन जैसे दिग्गज निशाने पर…कानपुर में 1-2 नहीं बल्कि पूरे 4 रिकॉर्ड बना सकते हैं Virat Kohli

bbc_live

छत्‍तीसगढ़ में बजट सत्र के पहले नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराने की तैयारी, दिसंबर में हो सकती है घोषणा

bbc_live

Gold & Silver Rate: सोने को लेकर खुशखबरी, चांदी की कीमत ने तोड़ दी दम

bbc_live

Leave a Comment