अब्दुल सलाम कादरी-प्रधान संपादक
रायपुर। छत्तीसगढ़ के फारेस्ट विभाग जैसे अम्बिकापुर वन मण्डल मरवाही वन मण्डल कटघोरा वन मण्डल कोरबा वन मण्डल जशपुर वन मण्डल, धमतरी वन मण्डल मुंगेली वन मण्डल, कवर्धा वन मण्डल, रायपुर वन मण्डल और रायपुर के जोरा नर्सरी से हर माह मजदूरी के नाम पर बाउचर तैयार किए जाते है यह बाउचर विभिन्न कार्यो के नाम पर सम्पादित किये जाते है और सिंडिकेट ठेकेदारों के मजदूरों के खातों में पैसा ट्रांसफर किया जाता है और बाद में उनसे पैसे बैंक से वापस ले लिया जाता है यह कार्य बकायदा कुछ वर्षों से चलाया जा रहा है?
यह कार्य स्थानीय वन विभाग के फोरेस्टर, डिप्टी रेंजर और रेंज में बाबुओं की मिलीभगत से किया जाता है, इसमे सबसे ज्यादा हिस्सा डिएफओ का 20% और एसडीओ का 10% होता है अपना कमीशन लेने के बाद सीसीएफ के लिए 5 % से 7 % और पीसीसीएफ के नाम पर अलग से 5.75% चंदा वसूली की जाती है साथ ही मंत्री संतरी और स्थानीय विधायक के नाम पर भी जमकर वसूली को अंजाम दिया जा रहा है।
सबसे ज्यादा इस समय कोरबा वन मण्डल, कटघोरा वन मंडल, मरवाही वन मडंल, जशपुर वन मण्डल, रायगढ वन मण्डल सहित सूरजपुर वन मण्डल के रामानुजनगर वन परीक्षेत्र और कोरबा के वन परीक्षेत्र बालको में किया जा रहा है।
एक प्रकार से देखा जाए तो बकायदा रणनीति तैयार करके मजदूरी के पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है।
कांग्रेस राज में भाजपाईयो का हल्ला बोल-अब खामोश क्यों?……..
कांग्रेस राज में जो घोटाले हुए और उन घोटालों को लेकर 5 साल तक भाजपाई अलग अलग वन मंडलों में रोना रोते रहे, लेकिन जैसे ही सरकार इनकी आई तो ये पिछले घोटालों को भुलाकर खुद ही घोटालो पर पर्दा डालने का कार्य कर रहे है?
जब कोई आरटीआई कार्यकर्ता इन वन मंडलों से जानकारी मांगता है तो सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 और 11 के उपधाराओं का हवाला देकर जानकारी छुपाने का प्रयास क्यो किया किया जाता है वो इसलिए कि इनका घोटाला उजागर ना हो जाये, अगर ये रेंजर और डिएफओ ईमानदार होते तो जानकारी देने में किसी भी प्रकार की देर ना करते, परन्तु खुद की चोरी भी तो छुपानी है इसलिए जानकारी नही देते है?
अगली खबर में एक एक वन मण्डल के एक एक रेंज की पोल जनता तक पहुँचाने का कार्य “बीबीसी लाईव और खबर 30 दिन न्यूज़ नेटवर्क” के जरिये किया जाएगा।
और इन वन मंडलों के एक एक कार्य की जानकारी न्यूज़ में प्रकाशित की जाएगी ताकि अन्य आरटीआई कार्यकर्ताओं को इन योजनाओं के नाम पर आरटीआई लगाकर उपरोक्त वन मंडलों से जानकारी मांग सकें। हम हमारे जाग्रुत पाठको से भी निवेदन करेंगे कि वे हमारे खबरों पर संज्ञान लेकर मामले को अपने स्तर पर जांच अवश्य करे और संभव हो तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आप भी आवाज़ उठाएं।