बिलासपुर। हाजिरी के नाम पर शिक्षकों के मोबाइलों को जीपीएस से कनेक्ट करवाने वाले डीईओ ने हाईकोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद अपना तुगलकी आदेश वापस ले लिया है। मुंगेली के तत्कालीन डीईओ के आदेश को चुनौती देते हुए प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस संबंध में कोर्ट में राज्य शासन द्वारा जवाब पेश करने के बाद हाईकोर्ट में याचिका को निराकृत कर दिया है।
याचिकाकर्ता शिक्षक संघ ने तत्कालीन डीईओ के आदेश को निजता के अधिकार का हनन बताते हुए एप को बंद करने की मांग की थी। छग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता रत्नेश कुमार अग्रवाल के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया था कि मुंगेली के तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी ने शिक्षकों की हाजिरी के नाम पर मोबाइल को जीपीएस से कनेक्ट करा दिया था। इससे शिक्षक जहां भी जाते थे डीईओ के मोबाइल पर सीधे जानकारी मिल जाती थी। शिक्षकों ने इस एप को बंद करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि तत्कालीन डीईओ का यह आदेश निजता के अधिकार का सीधा-सीधा हनन है। इससे शिक्षकों की निजता सीधेतौर पर प्रभावित हो रही है। हाजिरी के नाम पर इस तरह का आदेश संवैधानिक अधिकारों का सीधा-सीधा हस्तक्षेप है। हाई कोर्ट के नोटिस के बाद राज्य शासन ने अपने जवाब में डीईओ द्वारा जारी एप को अनाधिकृत करार दिया था। साथ ही इसे बंद कराने का आदेश जारी करने की जानकारी कोर्ट के समक्ष दी थी।
कब जारी हुआ था आदेश
1 जुलाई 2022 को मुंगेली के तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी सतीश पांडेय ने शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए टीचर सपोर्ट एंड मैनेजमेंट सिस्टम मुंगेली(टीएसएमएस) लागू किया था। एप में शिक्षकों को सुबह 10 बजे और शाम चार बजे क्यूआर कोड स्कैन कर उपस्थिति दर्ज कराने की अनिवार्यता की गई थी। जिले के 500 स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों ने एप को अपलोड कर दोनों वक्त क्यूआर कोड स्कैन कर रहे थे। इस एप को डीईओ ने भिलाई की एक निजी कंपनी से बनवाया था। एप डाउनलोड करने के बाद से ही शिक्षकों ने तकनीकी और व्यवहारिक दिक्कतों की जानकारी डीईओ को दे रहे थे। शिक्षकों की शिकायत को दरकिनार करते हुए डीईओ ने इसे कड़ाई के साथ लागू करने के निर्देश दिए थे। एप में हाजिरी के आधार पर शिक्षकों का वेतन बनाने के निर्देश भी डीईओ ने जारी किए थे।