32.6 C
New York
July 7, 2024
BBC LIVE
राष्ट्रीय

अब अंतरिक्ष में बजेगा भारत का डंका, सरकार ने 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को दी मंजूरी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद से अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश आसान हो गया है। संशोधित नीति के तहत लॉन्च वाहनों में 49 प्रतिशत तक, उपग्रहों में 74 प्रतिशत और उपग्रह घटकों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है। भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को संवर्धित निजी भागीदारी के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के सामर्थ्‍य का पता लगाने के विजन को लागू करने के लिए एक व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचे के रूप में अधिसूचित किया गया था।

उक्त नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना; अंतरिक्ष में सफल व्यावसायिक उपस्थिति विकसित करना; अंतरिक्ष का उपयोग प्रौद्योगिकी विकास के चालक के रूप में करना और संबद्ध क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाना और सभी हितधारकों के बीच अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इकोसिस्‍टम तैयार करना है। मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार, उपग्रहों की स्थापना और प्रचालन में केवल सरकारी अनुमोदन के मार्ग के जरिए ही एफडीआई की अनुमति है। भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के अंतर्गत विजन और रणनीति के अनुरूप, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न उप-क्षेत्रों/गतिविधियों के लिए उदारीकृत एफडीआई सीमाएं निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में एफडीआई नीति को आसान बना दिया है।

अंतरिक्ष विभाग ने इन-स्पेस, इसरो और एनएसआईएल जैसे आंतरिक हितधारकों के साथ-साथ कई औद्योगिक हितधारकों के साथ परामर्श किया है। एनजीई ने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के क्षेत्र में क्षमताएं और विशेषज्ञता विकसित की है। निवेश बढ़ने से वे उत्पादों की विशेषज्ञता, प्रचालन के वैश्विक पैमाने और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई हिस्सेदारी हासिल करने में सक्षम होंगे।

प्रस्तावित सुधार उदारीकृत प्रवेश मार्ग निर्धारित करके तथा उपग्रहों, प्रक्षेपण यानों और संबंधित प्रणालियों या उप प्रणालियों में एफडीआई के लिए स्पष्टता प्रदान करके, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित और रिसीव करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण और अंतरिक्ष से संबंधित घटकों और प्रणालियों के निर्माण द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई नीति प्रावधानों को उदार बनाने का प्रयास है।

लाभ

संशोधित एफडीआई नीति के अंतर्गत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। संशोधित नीति के अंतर्गत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है। स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 74 प्रतिशत तक: उपग्रह-विनिर्माण और प्रचालन, सैटेलाइट डेटा उत्पाद और ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट। 74 प्रतिशत के बाद ये गतिविधियां सरकारी मार्ग के अंतर्गत आती हैं। स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 49 प्रतिशत तक: प्रक्षेपण यान और संबंधित प्रणालियां या उपप्रणालियां, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने और रिसीव करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण। 49 प्रतिशत के बाद ये गतिविधियां सरकारी मार्ग के अंतर्गत आती हैं। स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 100 प्रतिशत तक: उपग्रहों, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट के लिए घटकों और प्रणालियों/उप-प्रणालियों का विनिर्माण। निजी क्षेत्र की इस बढ़ी हुई सहभागिता से रोजगार सृजन, आधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत किए जाने की संभावना है। इससे कंपनियां सरकार की ‘मेक इन इंडिया (एमआईआई)’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को विधिवत प्रोत्साहित करते हुए देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सक्षम होंगी।

Related posts

NEET PG की परीक्षा स्थगित, NEET UG पेपर लीक के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला

bbc_live

रायपुर का सट्टा किंग जबलपुर में गिरफ्तार…ऑनलाइन सट्टे पर पुलिस की बड़ी कार्यवाही

bbc_live

Wednesday Horoscope : आज बेहद संभलकर रहें मिथुन और सिंह समेत इन 6 राशियों के लोग, आर्थिक नुकसान के हैं योग

bbc_live

Leave a Comment

error: Content is protected !!