रायपुर। राजधानी की सबसे महंगी कॉलोनियों में से एक लॉ विस्टा सोसाइटी में लगभग छह साल पहले रेरा द्वारा अपने बचे हुए बंगलों और ज़मीन की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सोसाइटी के निवासियों ने छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि प्रोजेक्ट डेवलपर अमृत होम्स प्राइवेट लिमिटेड ने घरों की बिक्री के समय ब्रोशर में विज्ञापित सुविधाओं को देने में विफल रहा।
बता दें कि, कॉलोनी में सीवेज सिस्टम का काम अधूरा पड़ा है। रास्ते नहीं बने हैं। घरों के प्रवेश द्वारों पर वीडियो डोर कॉलिंग सिस्टम नहीं है। जिस जगह टेनिस कोर्ट बनाने का वादा किया गया था, वहां निगम ने नाले की नाली हटा दी है। साथ ही क्लब हाउस में भी सुविधाओं का अभाव है। इन मुद्दों के बाद रेरा के तत्कालीन अध्यक्ष विवेक ढांड ने बिल्डर के खिलाफ आदेश जारी किया था। हालांकि, अब छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण ने बिल्डर को राहत देते हुए इस फैसले को पलट दिया है। साथ ही बंगलों की खरीद-फरोख्त पर लगी रोक भी हटा दी गई है और सोसायटी का आवेदन खारिज कर दिया गया है।
ट्रिब्यूनल ने याचिका कर दी खारिज
सोसायटी की ओर से याचिका दायर करने वाली कीर्ति व्यास ने कहा कि, ट्रिब्यूनल ने हमारी याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता सोसायटी में नहीं रहता है। मैंने अपनी पत्नी भावना व्यास के नाम पर घर खरीदा है और मैं बैंक लोन में सह-उधारकर्ता भी हूं। इसलिए, यह दावा नहीं किया जा सकता कि मेरी पत्नी संपत्ति की एकमात्र मालिक है। जिस समय यह मामला दायर किया गया, उस समय मैं सोसायटी का अध्यक्ष भी था। इसलिए पूरे अधिकार के साथ याचिका प्रस्तुत की गई। इसके बावजूद उनकी अपील खारिज कर दी गई। उल्लेखनीय है कि रायपुर की सबसे हाईटेक कॉलोनी बताई गई लॉ विस्टा सोसायटी में डेढ़, ढाई और साढ़े तीन करोड़ की कीमत के बंगले बेचे गए। बंगलों की कीमत अधिक होने के बावजूद सुविधाएं नहीं दी गईं, जिससे रहवासियों ने रेरा का दरवाजा खटखटाया।