भारत शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता के मामले में दुनिया के सबसे आशावादी देशों में से एक बनकर उभरा है. ताजे Educational Testing Service (ETS) के Human Progress Report ने, जो मंगलवार को भारत में जारी की गई, 18 देशों में अध्ययन किया और यह दिखाया कि भारतीयों की शिक्षा प्रणाली के प्रति आशावाद वैश्विक स्थिति से बहुत अलग है. हालांकि, भारत में शिक्षा तक पहुंच और शिक्षक की उपलब्धता जैसे मुद्दे अब भी चुनौतियां बनी हुई हैं.
भारतीयों का शिक्षा प्रणाली के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
रिपोर्ट के अनुसार, जबकि दुनिया भर में केवल 30% लोग अपने देश की शिक्षा व्यवस्था के प्रति आशावादी थे, भारत में यह आंकड़ा 70% था. इसके अलावा, भारत में भविष्य में शिक्षा में सुधार को लेकर विश्वास का स्तर भी वैश्विक औसत से अधिक है. जबकि 64% लोग दुनिया भर में भविष्य में सुधार की उम्मीद रखते हैं, भारत में यह आंकड़ा 76% है.
भारतीयों में सकारात्मक दृष्टिकोण अधिक है, लेकिन बड़ी संख्या में लोग सिस्टम में मौजूद चुनौतियों को भी पहचानते हैं. रिपोर्ट में यह सामने आया कि 84% भारतीय मानते हैं कि गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करना अभी भी मुश्किल है, और 78% लोग मानते हैं कि शिक्षा के अवसर कुछ विशेष समूहों के लिए सीमित हैं. इसके अलावा, 74% लोग इस बात से सहमत हैं कि शिक्षा में शिक्षक की भारी कमी है, जो भारत की शिक्षा प्रणाली की बड़ी रुकावट है.
उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षा कार्यक्रमों और संस्थानों की कमी
भारत में वैश्विक औसत से अधिक लोग उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षा कार्यक्रमों और संस्थानों की कमी को शिक्षा में बाधा मानते हैं. भारत में 34% लोग इस मुद्दे को प्रमुख बाधा मानते हैं, जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 22% है. इसी प्रकार, भारत में 29% लोग संस्थानों की कमी को शिक्षा में समस्या मानते हैं, जबकि वैश्विक औसत यह आंकड़ा 20% है.
सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता पर भारतीयों का विश्वास
शिक्षा के क्षेत्र में आशावाद के साथ-साथ भारतीयों का सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता पर भी विश्वास है. 69% भारतीयों का मानना है कि उनके पास सामाजिक-आर्थिक उन्नति के अवसर हैं, जबकि वैश्विक औसत 55% है. 2035 तक, 72% भारतीयों को सुधार की उम्मीद है, जबकि दुनिया भर में यह आंकड़ा 62% है.
आर्थिक बाधाएं और रोजगार के अवसर
हालांकि भारतीयों का सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता पर विश्वास मजबूत है, फिर भी आर्थिक बाधाएं और रोजगार के अवसरों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. 40% भारतीयों ने रोजगार की कमी को एक प्रमुख समस्या बताया, जबकि वैश्विक औसत 34% था. इसके अलावा, 33% भारतीय महंगी शिक्षा को एक बड़ी समस्या मानते हैं, जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 28% है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रभाव पर भी बड़ी चिंता है. 88% भारतीय मानते हैं कि AI का कामकाजी कौशल पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, भारतीयों का मानना है कि AI एक खतरे के रूप में नहीं, बल्कि एक सहायक उपकरण के रूप में काम करेगा. वे मानते हैं कि जो लोग अपने काम में AI का उपयोग करेंगे, वे उन लोगों की तुलना में आगे रहेंगे, जो इसका उपयोग नहीं करेंगे.
भारत की उम्मीद और भविष्य की दिशा
भारत की शिक्षा प्रणाली और करियर विकास के प्रति आशावाद वैश्विक दृष्टिकोण से कहीं अधिक है, और यहां के लोग पूरी तरह से कौशल विकास और करियर उन्नति के प्रति प्रतिबद्ध हैं. भारत की शिक्षा प्रणाली में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारतीय इन समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार हैं. गैर-लाभकारी संगठनों और सरकार के साझेदारी से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की संभावनाएं हैं, और भारत इन चुनौतियों को प्रभावी तरीके से हल करने की दिशा में काम कर रहा है.