निर्जला एकादशी का व्रत इस साल 6 जून को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी का व्रत पूरे साल के सबसे कठिन तपस्या वाले व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर व्रत किया जाता है और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करने मात्र से ही आपको साल की सभी एकादशियों का व्रत करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। आइए आपको बताते हैं निर्जला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजाविधि।
निर्जला एकादशी व्रत की तिथि कब से कब तक
हिंदू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और यह 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगी। इस प्रकार उदयातिथि के नियमानुसार निर्जला एकादशी व्रत 6 जून को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत का पारण 7 जून को किया जाएगा। इस दिन व्रत रहकर विधि विधान से पूजा करने से आपको भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी को क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। कहते हैं पांडवों में सबसे शक्तिशाली भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत सबसे पहले किया था। इसके पीछे मान्यता यह है कि भीम ने मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखा था। तब से इसे भीमसेनी एकादशी कहा जाता है। साल में कुल 12 एकादशी होती हैं और उनमें सबसे प्रमुख एकादशी निर्जला एकादशी मानी जाती है। कहते हैं कि इस एक व्रत को करने से सभी एकादशियों का व्रत करने के समान फल प्राप्त हो जाता है मान्यता है कि इस दिन अन्न और धन का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पैसों की कमी नहीं होती और आपके घर में हमेशा बरकत बनी रहती है। इसलिए, निर्जला एकादशी का व्रत और दान दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण हैं।
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य को जल चढ़ाना और मंदिर की सफाई करना शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत करके विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पीले फल और खीर का भोग लगाते हैं। साथ ही इस दिन विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करने का खास महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
निर्जला एकादशी पर क्या करें
० निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ जल और शरबत का दान करना विशेष रूप से पुण्य का काम है।
० इस दिन उपवास रखना और दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
० निर्जला एकादशी के दिन हमें सात्विक जीवन जीना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
० एकादशी के दिन पूर्ण उपवास रखना चाहिए। हमें भोजन और पानी दोनों का त्याग करना चाहिए।
० हमें भगवान विष्णु की भक्ति में समय बिताना चाहिए। मंदिर जाना चाहिए और धार्मिक प्रवचन सुनने चाहिए।
निर्जला एकादशी पर क्या न करें
० निर्जला एकादशी के दिन हमें अनाज, चावल या दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
० निर्जला एकादशी पर तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन और मांस से भी दूर रहना चाहिए।
० इस दिन हमें दूसरों का अपमान नहीं करना चाहिए और नकारात्मक व्यवहार से बचना चाहिए।
० व्रत के दौरान शारीरिक श्रम से भी बचना चाहिए।