नैनीताल। जंगल की आग से हर दिन वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है वनों की आग से सबसे अधिक कुमाऊं मंडल प्रभावित हुआ है। राज्य में पिथौरागढ़ वन प्रभाग में सर्वाधिक जंगल की आग की घटनाएं हुईं हैं। तराई पूर्वी, अल्मोड़ा और चंपावत वन प्रभाग में भी पचास से अधिक जंगल की आग की घटना हो चुकी है। केवल नैनीताल सोइल कंजरवेशन वन प्रभाग में कोई भी घटना रिपोर्ट नहीं हुई है। गढ़वाल मंडल की बात करें तो सर्वाधिक जंगल की आग लगने की घटना सिविल सोयम पौड़ी वन प्रभाग में हुई है। यहां 65 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। मसूरी में भी 42 घटनाएं हुई हैं।
ये इलाके हैं संवेदनशील
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, बेड़ीनाग, डीडीहाट, अस्कोट, धारचूला, मुनस्यारी रेंज हैं। इसमें डीडीहाट रेंज आग की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील है। चंपावत वन प्रभाग के अंतर्गत जिले के पाटी ब्लॉक में इस बार आग की घटनाएं अधिक हुई हैं। इस प्रभाग में भिंगराड़ा चीड़ बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अधिक संवेदनशील बना हुआ है। अल्मोड़ा में जागेश्वर, सोमेश्वर, रानीखेत, मोहान, अल्मोड़ा, द्वाराहाट रेंज सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
कर्मियों की स्थिति
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में गंगोलीहाट और डीडीहाट में रेंजर के पद रिक्त हैं। बेड़ीनाग रेंजर को गंगोलीहाट और अस्कोट के रेंजर को डीडीहाट का भी अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। पिथौरागढ़ में दो सब डिविजन डीडीहाट और बेड़ीनाग हैं। दोनों में एसडीओ की तैनाती हो गई है। आग पर काबू पाने के लिए एक रेंज में लगभग 15 कार्मिकों की टीम और लगभग सौ फायर वाचर हैं। चंपावत वन प्रभाग में दो एसडीओ के पद हैं, इसमें एक पद पर एसडीओ की स्थायी तैनाती है। यहां पर फायर सीजन शुरू होने के बाद चार वाहनों को किराए पर लेकर टीम आग बुझाने में जुटी है।हल्द्वानी वन प्रभाग में एक एसडीओ का पद रिक्त है। अल्मोड़ा वन प्रभाग में रेंजर के पांच, डिप्टी रेंजर के 10, वन दारोगा के 16 और वन रक्षक के 12 पद रिक्त हैं। वहीं सिविल सोयम में डिप्टी रेंजर का एक, वन दारोगा के आठ और वन रक्षक के 22 पद रिक्त हैं।