नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद अब सरकार बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बड़ी पार्टियां बनकर उभरी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) अब अहम मंत्रालयों और खास मांगों को लेकर मोलभाव में जुटी हैं।खबर है कि नीतीश कुमार की जदयू अपने लिए कम से कम 3 मंत्रालय मांग सकती है। नायडू भी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे मांग कर सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, जदयू की नजर रेलवे, ग्रामीण विकास और जल शक्ति मंत्रालय पर है। इसके अलावा परिवहन और कृषि मंत्रालय भी पार्टी की सूची में हैं।एक नेता ने कहा, नीतीश ने एनडीए सरकार में रेलवे, कृषि और परिवहन विभाग संभाले हैं। हम चाहते हैं कि हमारे सांसद ऐसे विभाग लें, जो राज्य के विकास में मदद कर सकें। घटते जल स्तर और बाढ़ की चुनौतियों के संदर्भ में जल शक्ति महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जदयू एक उच्च जाति, एक अन्य पिछड़ा वर्ग कुशवाह और एक अति पिछड़ा वर्ग नेता को मंत्री बना सकती है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर के सांसद ललन सिंह, झंझारपुर के सांसद रामप्रीत मंडल और वाल्मिकी नगर के सांसद सुनील कुमार दौड़ में हैं।इनके अलावा सीतामढी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
टीडीपी की सबसे बड़ी मांग आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा हो सकती है। आंध्र प्रदेश से तेलंगाना को अलग करने के बाद से ही ये मांग जोर पकड़ रही है।नायडू और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी दोनों ने कई विशेष दर्जे की मांग की है। दोनों नेताओं का तर्क है कि आंध्र प्रदेश को अन्यायपूर्ण और असमान तरीके से विभाजित किया गया, जिस वजह से उसके हिस्से में राजस्व के स्त्रोत कम और ऋण ज्यादा आया।
नायडू विशेष राज्य की मांग को लेकर मुखर रहे हैं। 2014-19 के दौरान टीडीपी एनडीए का हिस्सा थी और इस दौरान नायडू ने कई बार ये मांग उठाई थी।हालांकि, जब सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो 2018 में नायडू ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था। टीडीपी के 2 केंद्रीय मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी टीडीपी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीडीपी और जदयू अपने लिए लोकसभा स्पीकर पद भी मांग सकते हैं। गठबंधन सरकार में दलबदल की स्थिति में स्पीकर की भूमिका काफी अहम हो जाती है।बता दें कि 1998 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब भी स्पीकर पद टीडीपी के पास था।रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि चिराग पासवान ने 2 और जीतनराम मांझी ने भी एक मंत्रालय की मांग की है।