Patna: जन सुराज के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत किशोर ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर गांधी मैदान में आमरण अनशन शुरू कर दिया है. प्रशांत किशोर का आरोप है कि इस परीक्षा में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों का बोलबाला है, जिससे हजारों योग्य छात्रों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है.
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस परीक्षा में कुल 15,000 बच्चों का भविष्य दांव पर है, लेकिन जिस तरह से भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का आलम है, उससे 3.5 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी आंदोलित हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि परीक्षा में आधे से ज्यादा सीटों पर भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं और कई सीटों की बिक्री की जा रही है. किशोर ने कहा, “लोगों को यह सब मालूम है कि जिन बच्चों ने ईमानदारी से पढ़ाई की है, उन्हें नौकरी नहीं मिल रही, जबकि भ्रष्टाचारियों के पास टिकट हैं.”
सरकारी नौकरी के लिए पैसे की मांग
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि प्रत्येक जिले और गांव में यह खबर फैल चुकी है कि एक-एक नौकरी के लिए 30 लाख से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक की मांग की जा रही है. उन्होंने बिहार सरकार से अपील की कि वह इस गंभीर मसले पर शीघ्र बोलें और इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करें.
किशोर ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ परीक्षा के परिणामों के खिलाफ नहीं, बल्कि बिहार के युवा वर्ग के भविष्य के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ है. उनका उद्देश्य उन बच्चों की आवाज बनना है जो अपनी मेहनत से परीक्षा में सफल होना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण उन्हें उनके हक से वंचित किया जा रहा है.
लंबे समय तक रहता है वोट के चोट का दर्द
आमरण अनशन पर बैठने के बाद प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि उनके पास कुर्सी की ताकत है, वे अहंकार में आकर छात्रों पर लाठी बरसा सकते हैं, लेकिन वोट मांगने फिर इन्हीं लोगों के पास जाना होगा. प्रशांत किशोर ने कहा कि पुलिस की लाठी का दर्द तो 3-4 दिनों तक रहता है, लेकिन वोट की चोट का दर्द पूरे 5 साल बना रहता है.