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January 13, 2025
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Aaj ka Panchang 13 January 2025: आज है पौष पूर्णिमा एवं लोहड़ी, पंचांग से नोट करें स्नान एवं पूजा का समय

नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी सोमवार 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और लोहड़ी है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही पूजा, जप, तप और दान-पुण्य कर रहे हैं। इसके साथ ही लोहड़ी की भी तैयारी कर रहे हैं। पौष पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किये गये पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पौष पूर्णिमा पर रवि योग का संयोग बन रहा है। इस योग में गंगा स्नान और पूजा, जप-तप करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में। 

आज का पंचांग

सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर 

सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 45 मिनट पर 

चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 04 मिनट पर

चंद्रास्त- नहीं

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल – सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 53 मिनट तक

गुलिक काल – दोपहर 01 बजकर 49 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक

दिशा शूल – पूर्व

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद

चन्द्रबल

मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो पौष पूर्णिमा पर रवि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही पुनर्वसु योग का भी संयोग है। इन योग में स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।

इन मंत्रो का करें जप

1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

4. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।

5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

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