RG Kar Case: आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सियालदह अदालत की ओर से सोमवार को फैसला सुनाया गया. इस फैसले में न्यायाधीश ने आरोपी द्वारा किए गए अपराध को रेयरेस्ट ऑफ रेयर ना बताते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जिससे पीड़ित के परिवार और न्याय की मांग करने वालों में नाखुशी का माहौल है. हालांकि इसी बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ आज कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
ममता सरकार की ओर से आज न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने यह बात रखी गई है कि वह आरोपी के मृत्युदंड की मांग के लिए अपील दायर करने जा रही है. हालांकि इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सजा के आदेश का विरोध करते हुए उसके खिलाफ अपील के फैसले की घोषणा कर चुकी थी.
दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला नहीं!
सीएम बनर्जी ने अदालत के फैसले पर नाखुशी जताते हुए कहा था कि आर.जी. कर जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में मैं यह देखकर वास्तव में हैरान हूं कि आज न्यायालय के निर्णय में पाया गया है कि यह दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला नहीं है! मुझे विश्वास है कि यह वास्तव में दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला है जिसके लिए अपराधी को मृत्युदंड दी जानी चाहिए. उन्होंने जज द्वारा दिए गए तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा था कि निर्णय इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंच सकता है कि यह दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला नहीं है?! सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने कहा था कि इस मामले में सबसे खास बात यह है कि मामले की जांच और अभियोजन केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) द्वारा किया गया था. इसमें राज्य पुलिस की कोई भूमिका नहीं थी क्योंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की जांच को कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था.
57 दिनों तक सुनवाई के बाद फैसला
बता दें आरजी कर घटना पिछले साल का सबसे चर्चित मामला था. जिसमें 31 साल की ट्रेनी डाक्टर के साथ ड्यूटी के दौरान ही बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई. डॉक्टरों को पीड़ित का शव कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिला था. जिसके बाद इसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई खुलासे हुए थे. इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल था. महिला सरकार के राज में महिलाओं के साथ हो रहे गंभीर अत्याचार को लेकर ममता सरकार के खिलाफ कई नारे लगे थे. देश भर के डॉक्टरों ने कई दिनों तक हड़ताल किया. हालांकि घटना के अगले ही दिन अपराधी संजय रॉय को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही थी. वहीं 57 दिनों तक चले सुनवाई के बाद 18 जनवरी को रॉय को दोषी करार दिया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.