कोरिया(छत्तीसगढ़)छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई है। कद्दावर मंत्री भी हार चुके हैं जिनके बलबूते कई विभागों में भ्रष्टाचार का खेल जमकर खेला गया। कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में भी इस तरह के कारनामे हुए हैं जिनमें वन महकमा प्रमुख है। पूर्व सूबे के मुखिया रहे भूपेश बघेल के करीबी वनमंत्री मोहम्मद अकबर की धाक पर कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में तत्कालीन संचालक और उनके रेंजरों ने भ्रष्टाचार और घोटाले का ऐसा खेल खेला जिसकी गूंज आज भी जंगलों में सुनाई देती है।
पूर्व संचालक के इशारे पर कुछ रेंजरों, डिप्टी रेंजरों ने जंगल के विकास के लिए विभिन्न मदों में आने वाली राशि की जमकर बंदरबांट की।
इनमे प्रमुख तौर पर स्टाप डेम घोटाला हो या जंगल के भीतर सड़क निर्माण का मामला या फिर नरवा विकास की योजना हो या लेंटाना उन्मूलन करने की बात हो, इन सभी में जमकर भ्रष्टाचार हुए हैं। इन भ्रष्टाचारों को समय-समय पर प्रमुखता से उजागर भी किया गया है आरटीआई के माध्यम से भी जानकारी इकट्ठा की गई है।
निर्माण कार्यों में मजदूरी घोटाला, तालाब निर्माण में फर्जी कार्य, फर्जी मजदूरों के नाम से पैसा निकालने का मामला हो या मजदूरों के तौर पर अपने चहेतों के बच्चों के नाम से रुपए निकाल कर गबन करने की बात हो, या काम के बाद सालों से मजदूरी के लिए भटकाने का मामला, इन सब में तत्कालीन रेंजर, पूर्व संचालक डिप्टी संचालक अधिकारी के हाथ काफी गहरे तक धंसे हुए हैं।
सूबे में कांग्रेस सरकार और वन मंत्री का करीबी होने का पूरा-पूरा फायदा न सिर्फ पूर्व संचालक ने उठाया बल्कि राज्य में वन अधिकारी श्रीनिवास राव के साथ मिलकर निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार किया है। निर्माण सामग्रियों में गुणवत्ताहीन सामानों की खरीदी कराई गई। छत्तीसगढ़ के एक सप्लायर के लिए सांठगांठ कर बाजार में प्रचलित दाम से भी कम मूल्य पर निर्माण सामग्रियों की खरीदी होना दर्शाकर करोड़ों रुपए गबन किए गए। सामानों की डंपिंग हुए बगैर ही उसकी राशि निकाल दी गई, घटिया सीमेंट का घोटाला भी वन मंत्री और राव के संरक्षण में पूर्व संचालक और प्रभारी पार्क रेंजर सोनहत, कमर्जी, रामगढ़ और पूर्व उपसंचालक श्री सिंहदेव ने किया। यहां तक की निर्माण कार्य में सप्लायरों, पौधा सप्लाई आदि की परिवहन की राशि को भी गबन कर लिया गया और इसका भुगतान करने के एवज में 40 से 60% तक की मांग रखी गई।
यह सारे मामले 2019 से 2023 के बीच खेला गया है । तबादले के बाद संचालक बनकर आए वर्तमान संचालक ने भी मामले को दबाने में कोई कसर नही छोड़ी। वर्तमान संचालक ने भी इन सभी मामलों और घोटालों की फाइल को कोई तवज्जो नहीं दी। नतीजा या रहा कि गुरु घासीदास उद्यान में जंगल राज कायम रहा। कुछ लोगों ने तो घोटालों की आड़ में RTI लगाकर अपने मतलब भी साध लिए और रेंजर से लेकर अधिकारी ब्लैकमेल तक होते रहे पर बोलें भी तो किस मुंह से जब खुद ही भ्रष्टाचार के दलदल में समाए रहे। एक रेंजर सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर तो मनरेगा और कैंपा में करोड़ों की रिकवरी हो सकती है लेकिन ना तो जाँच हो रही है ना तो एफआईआर हो रही और ना रिकवरी। जांच पर कार्रवाई दिखाने के नाम पर निलंबन तो एक सामान्य प्रक्रिया है।
अब सत्ता बदल चुकी है, वन मंत्री करारी हार का सामना कर चुके हैं। खबर तो यह है कि उनके काफी करीबी रहे श्रीनिवास राव जो की करोड़ों रुपए का घोटाला करके बैठे हैं, उन पर जांच बिठाई जाएगी। ऐसी सुगबुगाहट के बीच चर्चा यह भी है कि अगर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की फाइल खुली तो रेंजर्स सहित पूर्व संचालक भी जांच की आंच से नहीं बच सकते । पूर्व संचालक श्री रामकृष्णन ने कई बार वन विभाग और विधानसभा में गलत जानकारी देकर गुमराह करने का दुस्साहस किया है जिस पर जानकार बताते हैं कि विभाग को गुमराह करने की हिमाकत पर एफआईआर तो दर्ज होना ही चाहिए। कई भाजपा विधायको ने इस मामले को सदन में उठाया जरूर, लेकिन वह भी न जाने सत्ता मिलने के बाद क्यों खामोश बैठ गए?
अब यह नई सरकार में बनने वाले नए मुख्यमंत्री और नए वन मंत्री का दायित्व होगा कि वह कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में हुए घोटाले की फाइल की परतें खोलें।
इसी कड़ी में करोड़पति डिप्टी रेंजर की अचल संपत्ति पर अगली खःबर जल्द