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CGPSC घोटाला : एक ही परीक्षा केंद्र से आखिर कैसे निकले 36 असिस्टेंट प्रोफेसर, जानें कहा तक पहुंची CBI जांच

रायपुर। भूपेश सरकार में हुए CGPSC -2022 की भर्ती में कथित घोटाले की सीबीआई जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि 2019 में की गई असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में भी गड़बड़ी हुई है। एक ही परीक्षा केंद्र में बैठे 50 अभ्यर्थियों में 36 लोगों को असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया। 9 जुलाई को दर्ज एफआइआर में संलग्न दस्तावेजों के अनुसार परीक्षा में अनुपस्थित अभ्यर्थी का सिलेक्शन कर लिया गया।

अफसरों और नेताओं के रिश्तेदारों का हुआ सिलेक्शन

जांच में पता चला कि भर्ती में गड़बड़ी की गई है और अफसरों ने अपने रिश्तेदारों सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संबंधियों को पहले ही प्रश्नपत्र उपलब्ध करवा दिया था। चयनित अभ्यर्थियों में पांच सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के ही रिश्तेदार निकले। इसमें उनके पुत्र नितेश, बहू निशा कोसले, बड़े भाई का बेटा साहिल, बहू दीपा आदिल व बहन की बेटी सुनीता जोशी शामिल है।

इसके अलावा तत्कालीन राज्यपाल के सचिव के बेटे निखिल व बेटी नेहा, डीआइजी नक्सल आपरेशन पीएल ध्रुव की बेटी साक्षी व कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदारों का भी सिलेक्शन हुआ था।

CBI ने 10 घंटे तक खंगाला CGPSC का दफ्तर

बता दें कि, CGPSC के दफ्तर पहुंची सीबीआई अपने साथ आंसरशीट और ओएमआर ले गई। लेकिन छानबीन के दौरान दफ्तर में कई दस्तावेज गायब मिले।

पीएससी दफ्तर से सोमवार को 10 घंटे की तलाशी के बाद एजेंसी के अधिकारी 2021 और 2022 की प्रीलिम्स और मेंस के प्रश्न पत्र व उत्तर पुस्तिका और डिजिटल डिवाइस भी साथ ले आए थे। परीक्षा से संबंधित अन्य दस्तावेज भी उन्होंने मांगे हैं, क्योंकि दफ्तर से कई जरूरी दस्तावेज गायब मिले। इसे लेकर एजेंसी ने परीक्षा नियंत्रक समेत अन्य अधिकारी- कर्मचारियों से चर्चा की है। पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन टामन सोनवानी और सचिव जीवन किशोर ध्रुव के घर से भी दस्तावेज जब्त किए हैं। दोनों को बयान के लिए नहीं बुलाया है।

अब सबकी कुंडली खंगाली जाएगी

रिटायर्ड एडीजी अन्वेष मंगलम के अनुसार सीबीआई सबसे पहले पीएससी से 2019 से 2022 में डिप्टी कलेक्टर-डीएसपी और असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा के बाद चयनित उम्मीदवारों की सूची हासिल करेगी। उसके बाद उन उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाएगी जिनके चयन को लेकर कई तरह के आरोप लग रहे हैं। भर्ती परीक्षा में चयनित सभी उम्मीदवारों के प्रीलिम्स और मेंस की आंसरशीट निकाली जाएगी। उसे जांच के लिए सीबीआई की फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा। रोल नंबर और आंसरशीट अलग-अलग समय में तो नहीं लिखे गए, इस टाइमिंग का पता लगाने स्याही की फॉरेंसिक जांच होगी। दस्तावेजों की जांच के बाद ही इसमें शामिल लोगों का बयान लिया जाएगा।

चयनित अभ्यर्थी के आगे-पीछे बैठने वालों के बयान होंगे दर्ज

मंगलम ने बताया कि सीबीआई सबके बयान लेगी। खासतौर पर चयनित छात्रों व उनके आगे और पीछे बैठने वालों के। चयनित अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र में कितनी देर तक बैठा था? वह आंसर लिख रहा था या खाली बैठा था ? इंटरव्यू में कुछ ही मिनट में कक्ष से बाहर आ गए? जिनका चयन नहीं हुआ उन्हें कितनी देर बैठाया?

किस बोर्ड में हुआ किस अभ्यर्थी का इंटरव्यू इसकी जांच भी सीबीआई करेगी। जांच एजेंसी ये भी देखेगी कि किस अभ्यर्थी का इंटरव्यू किस बोर्ड में हुआ है। 3 बोर्ड बने थे जिसमें से एक में सोनवानी थे। सीबीआई देखेगी किस बोर्ड से सबसे ज्यादा लोगों का चयन हुआ है। बोर्ड के सदस्यों का चयनित अभ्यर्थियों या उनके परिजनों से कोई संबंध तो नहीं है। उनका 5 साल के कॉल डिटेल, गूगल लोकेशन से वाट्सएप चैट तक निकालेगी।

बता दें कि, आयोग ने वर्ष 2021 में पीएससी परीक्षा ली। नतीजे 11 मई, 2023 को घोषित हुए। चयन सूची के नामों की वजह से विवाद गहरा गया। इसको लेकर पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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