मध्यप्रदेश के तीन प्रमुख शहरों भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी में कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट कंपनियों से जुड़ी काली कमाई को जमीनों में छिपाने का बड़ा रैकेट उजागर हुआ है। विभाग ने पांच दिनों तक चलने वाली इस कार्रवाई के दौरान कुल 56 ठिकानों पर छापेमारी की। आयकर विभाग ने पाया कि जिन कंपनियों पर कार्रवाई की गई, उन्होंने 500 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी की है, जबकि इन कंपनियों का वार्षिक टर्नओवर 50 करोड़ रुपए से भी कम था।
आयकर विभाग को प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के प्रमुख राजेश शर्मा ने भोपाल के रियल एस्टेट कारोबारियों और प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के साथ मिलकर बड़ी मात्रा में बेनामी संपत्तियां खरीदीं। इन संपत्तियों में सैकड़ों एकड़ जमीनें शामिल हैं, जिन्हें कर्मचारियों और सहयोगियों के नाम पर खरीदी गईं और बाजार मूल्य से कम दामों में बेचीं गईं। यह कार्यवाही इस गठजोड़ की गहरी छानबीन के बाद की गई, जिसमें पूर्व और वर्तमान ब्यूरोक्रेट्स की भी मिलीभगत सामने आई।
आयकर विभाग की जांच में यह भी सामने आया कि कई कर्मचारियों को बिना उनकी जानकारी के संपत्तियों के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, राजेश शर्मा की टीम ने दबाव डालकर लोगों से जमीनें बेचवाईं और काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए इन संपत्तियों का इस्तेमाल किया। कई मामलों में, राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव का भी सहारा लिया गया।
इसके अलावा, ग्वालियर में एक आईएएस अधिकारी के साथ रायपुर के खनन कारोबारी महेंद्र गोयनका के कनेक्शन की भी जांच की जा रही है। इस कनेक्शन के माध्यम से भी काली कमाई को जमीनों में खपाया गया था। आयकर विभाग अब इस जांच को गहराई से अंजाम दे रहा है।
अंत में, 54 किलो सोने की बरामदगी की जांच भी तेज हो गई है। यह सोना एक लावारिस कार से पकड़ा गया था, जो कथित तौर पर काली कमाई से जुड़ा था। आयकर विभाग को शक है कि यह सोना विदेश से मंगवाया गया था, और अब इस मामले की जांच डीआरआई द्वारा की जाएगी।
आयकर विभाग अब बेनामी संपत्तियों के असल मालिकों की तलाश में जुटा हुआ है और इस पूरे रैकेट से जुड़ी हर कड़ी को बेनकाब करने के लिए लगातार जांच कर रहा है।