रिपोर्ट-राजू पटेल,आपको बता दें की सूरजपुर जिले का वह समिति जो आदिम जाति सेवा सहकारी समिति दवनकरा के नाम से जाना जाता है। जहां का समिति प्रबंधक किसानों के हित में कार्य तो अवश्य कर रहा है। परंतु राजनीतिक दबाव से बार-बार समिति प्रबंधक के साथ-साथ किसानों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जब कल मीडिया की टीम समिति दवनकारा में पहुंची तब वहां के किसानों ने बताया कि हमारा ही एक ऐसा समिति है। जहां बार-बार अधिकारियों का दबदबा बना रहता है। आखिर ऐसा क्यों छत्तीसगढ़ शासन के मनसा अनुरूप धान खरीदी केंद्र में हो रहे हैं। किसानों को किसी प्रकार का कोई सुविधा नहीं है। परंतु अधिकारी खरीदी केंद्र में पहुंचकर 2 घंटे 3 घंटे किसानों का टाइम व्यस्त करते हैं। इसे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब इस संबंध में हमने वहां के किसानों से बात किया तो किसानों ने ही यह बात कही की सारे कार्य सुचारू रूप से हो रहे हैं। समिति में सिर्फ राजनीतिक दबाव के कारण समिति के कर्मचारियों को साथ ही साथ यहां के किसानों को भी परेशान किया जाता है। वहां के प्रबंधक संतोष नाविक से बात किया तो उन्होंने भी यह आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव के कारण हम पर बार-बार अधिकारियों के द्वारा दबाव बनाया जाता है। बिना वजह का परेशान किया जाता है। अधिकारी समिति में पहुंचकर दो से ढाई घंटे जांच करते हैं जिससे हमें भी परेशानी होती है और किसानों को भी सुविधा होती है। बेवजह कभी धान कम दिखा देंगे। तो बरदाना काम दिखा देंगे और पंचनामा तैयार करते हैं जिससे मुझे मानसिक टेंशन बना रहता है। क्योंकि बेवजह मुझे तीन बार निलंबित किया गया है और मैं माननीय हाईकोर्ट के आदेश पर कार्य पर वापस लौटा हूं। जिसे खास जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं राजनीतिक दबाव के कारण अधिकारियों के द्वारा इस तरह से परेशान किया जा रहा है। अब देखना होगा की खबर चलने के बाद प्रशासन किस प्रकार से समिति में कार्य करती है यह देखने वाली बात होगी।