बीबीसी लाईव एक्सलूसिव
रिटायरमेंट के करीब हैं DFO प्रभात मिश्रा, अगर अब जांच नहीं हुई तो वसूली असंभव!
**रायपुर।कवर्धा।** छत्तीसगढ़ के वन विभाग में **1 करोड़ रुपये के कंबल खरीदी घोटाले** की परतें खुल रही हैं, लेकिन जांच के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है। घोटाले के मुख्य आरोपी **वनमंडल अधिकारी (DFO) प्रभात मिश्रा अब रिटायरमेंट के करीब हैं**, और अगर जल्द ही इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो सरकारी राशि की वसूली संभव नहीं होगी।
यह घोटाला न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को भी यह संदेश दे रहा है कि **वे खुलकर घोटाले करें और बिना किसी डर के रिटायर हो जाएं, सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी!**

**अगर अब जांच नहीं हुई तो सरकारी पैसा डूबेगा!**
DFO प्रभात मिश्रा पर लगे **1 करोड़ के गबन के आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह राशि हमेशा के लिए डूब जाएगी।**

– **रिटायर होने के बाद किसी भी अधिकारी से राशि की वसूली लगभग नामुमकिन होती है।**

– **ऐसे में अन्य भ्रष्ट अधिकारी भी इससे सीख लेंगे और घोटालों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।**

– **अगर अभी जांच कराकर दोष सिद्ध नहीं किया गया तो भविष्य में कोई भी अधिकारी जनता के पैसे को अपनी निजी संपत्ति की तरह खर्च करेगा।**

**क्या यह जांच केवल लीपापोती है?**

इस मामले में अब तक जांच का जो तरीका अपनाया गया है, उससे साफ लगता है कि **घोटाले को दबाने की कोशिश हो रही है।**
1. **IFS अधिकारी की जांच SFS अधिकारी से कराई गई, जो नियमों के खिलाफ है।**
2. **शिकायतकर्ता को सुनसान जगह पर छुट्टी के दिन बुलाया गया, जिससे वह जांच में शामिल नहीं हुआ।**
3. **ACF मोना माहेश्वरी पर पक्षपातपूर्ण जांच करने के आरोप लगे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।**
4. **वन विभाग के पास कंबल वितरण का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, न ही सूची है।**
5. **DFO प्रभात मिश्रा के आदेश पर बिना बजट स्वीकृति के कंबल खरीदे गए, लेकिन इसकी जांच तक नहीं हो रही।**

**भ्रष्टाचारियों को क्यों मिल रहा है संरक्षण?**
यह पहली बार नहीं है जब वन विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई घोटाले सामने आए, लेकिन **कभी किसी अधिकारी पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई।**

– DFO प्रभात मिश्रा के खिलाफ जांच नहीं हुई तो अन्य अधिकारी भी **बिना डर के घोटाले करते रहेंगे।**
– वन विभाग के कई अधिकारी **राजनीतिक पहुंच और ऊपरी संपर्कों का फायदा उठाकर खुद को बचाते हैं।**
– अगर अभी कार्रवाई नहीं हुई तो यह घोटाला हमेशा के लिए दफन हो जाएगा।

**शिकायतकर्ता की मांग: IFS, IPS या IAS अधिकारियों की कमेटी करे जांच!**
शिकायतकर्ता ने मांग की है कि **इस मामले की निष्पक्ष जांच किसी सीनियर IFS, IPS या IAS अधिकारी की कमेटी द्वारा की जाए।**
– वह पहले ही ACF मोना माहेश्वरी की भूमिका पर सवाल उठा चुका है।

– शिकायतकर्ता का कहना है कि **वह छुट्टी के दिन सुनसान जगह पर जांच में शामिल नहीं हुआ क्योंकि उसे जांच अधिकारी के रवैये से डर लग रहा था।**
– **वह चाहता है कि जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए ताकि सच सामने आ सके।**

**क्या सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को बचाएगी या कार्रवाई होगी?**
अब सवाल यह है कि **सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी या फिर इसे भी दबा दिया जाएगा?**
– क्या प्रभात मिश्रा के रिटायर होने से पहले उन पर कार्रवाई होगी?
– क्या सरकार भ्रष्ट अधिकारियों से सरकारी धन की वसूली करेगी?
– क्या अन्य भ्रष्ट अधिकारी इससे सीख लेंगे और भविष्य में बड़े घोटाले होंगे?

**जनता के पैसे से हुए घोटाले की वसूली जरूरी!**
अगर सरकार इस मामले में सख्ती नहीं दिखाती, तो यह घोटाला आगे के **बड़े भ्रष्टाचारों के लिए प्रेरणा बनेगा।** **अभी कार्रवाई करना जरूरी है ताकि सरकारी धन की वसूली हो सके और अन्य अधिकारी भ्रष्टाचार करने से डरें।

** अब देखना यह होगा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाती है या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा।