रायपुर। अभनपुर के भारतमाला सड़क स्कैम में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) ने शुक्रवार को सुबह रायपुर, दुर्ग और महासमुंद में ताबड़तोड़ छापेमारी की है। एसीबी-ईओडब्लू चीफ अमरेश मिश्रा की निगरानी में जांच एजेंसियों ने भारतमाला स्कैम में दो साल पहले तक सक्रिय सिंडीकेट पर अटैक किया है। इस सिंडीकेट में राजपत्रित अफसरों से लेकर पटवारियों तक की भूमिका तो है ही, महासमुंद और रायपुर के कुछ ठेकेदारों ने बड़े खेल को अंजाम दिया है। इसके अलावा कुछ जमीन दलाल भी हैं।

इस मामले में ईओडब्ल्यू ने कुछ अरसा पहले एफआईआर दर्ज किया था। ईओडब्लू ने सभी को जांच के दायरे में लेते हुए छापेमारी की है। इस घोटाले में कुछ ठेकेदारों ने इस तरह का खेल खेला है कि जैसे-जैसे घोटाले की परतें खुल रही हैं, जांच एजेंसी भी दंग है। माना जा रहा है कि अफसरों से पटवारियों तक को राजी करने के बाद ठेकेदारों ने इतना बड़ा खेल खेला कि एक-एक प्लाट को बीच-बीच से कटवाकर छह-छह लोगों को भारी मुआवजा दिलवाया और अतिरिक्त रकम डकार ली है। ईओडब्लू ने जिन ठेकेदारों को छापेमारी के दायरे में लिया है, उनमें सबसे अहम नाम महासमुंद के ठेकेदार हरमीत सिंह खनूजा का है, जिसके ला-विस्टा के मकान पर ईओडब्लू की टीम जांच कर रही है। इसके अलावा दुर्ग के ठेकेदार अमरजीत सिंह गिल, रायपुर के जमीन दलाल योगेश कुमार देवांगन, अभनपुर की बसंती घृतलहरे, गोलबाजार के कारोबारी विजय जैन, महादेवघाट रायपुर निवासी उमा तिवारी, तेलीबांधा में दशमेश के यहां भी छापा पड़ा है। इनके अलावा अभनपुर के तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू के नवा रायपुर और कांकेर निवास, तत्कालीन तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण के कटघोरा और बिलासपुर स्थित निवास, तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के माना बस्ती और अभनपुर निवास के अलावा आरआई रोशनलाल वर्मा के कचना आवास तथा पटवारियों लेकराम देवांगन के सेजबहार, दिनेश कुमार साहू के माना बस्ती तथा जितेंद्र कुमार साहू के अभनपुर स्थित निवास पर भी ईओडब्लू की टीमें छापा मारकर जांच कर रही हैं।

मुआवजे के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी
बता दें कि EOW ने FIR नंबर 30/2025 धारा 7C भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत 420, 467,468,471 और 120B में FIR दर्ज कर शासन से अनुमति के बाद छापेमारी की है। इससे पहले, शासन एक अपर कलेक्टर, एक डिप्टी कलेक्टर और एक तहसीलदार को इसी मामले में सस्पेंड कर चुका है। चार पटवारियों का सस्पेंशन भी हुआ था, लेकिन तकनीकी ग्राउंड पर वे निलंबन रद्द करवाकर नौकरी पर लौट आए हैं। इन सभी के खिलाफ जमीनों के फर्जी तरीके से कई लोगों के नाम दर्ज कर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। दस्तावेजों के आधार पर इनमें से कई मामले प्रमाणित भी हो चुके हैं। रायपुर जिला प्रशासन ने शिकायतों के बाद इस मामले की अफसरों की एक हाई-लेवल कमेटी से जांच करवाई थी। इस कमेटी ने कई शिकायतें सही पाए जाने के बाद जांच रिपोर्ट में अफसरों को दोषी ठहराया था और एक सिंडीकेट की ओर इशारा भी किया था।