इंटरनेशनल न्यूज़। अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताकी और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच हुई अहम बैठक के एक दिन बाद, भारत ने अफगानिस्तान से व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। भारत ने 160 अफगानी ट्रकों को अटारी बॉर्डर के रास्ते देश में प्रवेश की अनुमति दे दी है। ये ट्रक मुख्य रूप से ड्राई फ्रूट्स (सूखे मेवे) लेकर भारत आएंगे। मुत्ताकी ने 16 मई को खुद जयशंकर को फोन किया था, जब वह ईरान और चीन की यात्रा पर जा रहे थे। भारत ने इसे अहम कूटनीतिक संकेत माना है। भारत ने तालिबान द्वारा पहलगाम हमले की निंदा और पाकिस्तान द्वारा फैलाई जा रही अफ़वाहों (जैसे भारत ने अफगानिस्तान पर मिसाइलें दागीं) में शामिल न होने के लिए भी अफगान नेतृत्व का आभार जताया है।
आतंकी हमले के बाद बंद हुआ था अटारी चेक पोस्ट
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अटारी एकीकृत जांच चौकी (ICP) को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। इससे अफगानिस्तान से आने वाले उत्पादों की सप्लाई पर असर पड़ा। 16 मई को भारत सरकार ने पांच ट्रकों को ड्राई फ्रूट्स लेकर अटारी पहुंचने की अनुमति दी थी, जिसे सप्लाई रूट के पुनः सक्रिय होने की शुरुआत माना गया। अब 160 ट्रकों को एक साथ अनुमति मिलना भारत-अफगान व्यापारिक संबंधों में एक नई गति प्रदान करता है।
8 ट्रक भारत के अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट से दाखिल
10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव में कमी और युद्धविराम के बाद, शुक्रवार को अफगानिस्तान से आए 8 ट्रक भारत के अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के ज़रिए दाखिल हुए। ये ट्रक उन 150 में शामिल थे जो अप्रैल 24 से पाकिस्तान में लाहौर और वाघा सीमा के बीच फंसे हुए थे।इन ट्रकों में मुख्यतः सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट आदि थे। ये भारत के व्यापारियों द्वारा पहले से अग्रिम भुगतान पर मंगवाए गए थे। यदि इन्हें समय पर नहीं छोड़ा जाता, तो खराब होने का खतरा था।
पाकिस्तान ने पहले अटकाया रोड़ा, फिर मानी बात
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने शुरुआत में वाघा बॉर्डर पर ट्रकों की क्लियरेंस में देरी की, लेकिन बाद में उनमें से कुछ को अटारी में माल उतारने की अनुमति दे दी गई। उल्लेखनीय है कि 26 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने अटारी-वाघा व्यापार मार्ग को बंद कर दिया था।
अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स दोबारा शुरू होंगे
हालांकि पाकिस्तान ने आज तक भारत को केवल एकतरफा व्यापार की ही इजाज़त दी है (यानि सिर्फ अफगानी सामान भारत आ सकता है, भारत से वहां नहीं जा सकता), फिर भी भारत दक्षिण एशिया में अफगान उत्पादों का सबसे बड़ा बाज़ार बना हुआ है। दोनों देशों के बीच वार्षिक व्यापार लगभग 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री की मुत्ताकी से दुबई में हुई बैठक के बाद, भारत अफगानिस्तान में अपने अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स को दोबारा शुरू करने की योजना बना रहा है। भारत अफगान नागरिकों के लिए विकास कार्य और मानवीय सहायता भी बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
अब तक भारत से अफगानिस्तान कितनी मदद भेजी जा चुकी?
2021 के अंत में पाकिस्तान ने अपवादस्वरूप भारत को 50,000 टन गेहूं अफगानिस्तान भेजने की इजाज़त दी थी, जो सूखे से जूझ रहे देश के लिए सहायता थी। तब तालिबान ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया था कि वह मानवीय सहायता में रुकावट न डाले।
50,000 टन गेहूं
350 टन दवाएं
40,000 लीटर मलेथियॉन (कीटनाशक)
28 टन भूकंप राहत सामग्री
2000 ऑनलाइन स्कॉलरशिपअफगान छात्रों के लिए
तालिबान को मान्यता नहीं, लेकिन व्यापार जारी
भारत ने भले ही तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह कदम रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्तमान परिस्थितियों के बावजूद अफगानिस्तान भारत के लिए दक्षिण एशिया का एक प्रमुख निर्यात बाजार बना हुआ है जिससे दोनों देशों के बीच वार्षिक लगभग 1 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है।भारत ने साफ किया है कि जब तक तालिबान समावेशी सरकार और महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटाने जैसे वैश्विक मांगों को पूरा नहीं करता, तब तक औपचारिक मान्यता नहीं दी जाएगी। लेकिन संपर्क और सहयोग जारी रहेगा।