भारत में एक बार फिर कोविड-19 मामलों में तेजी देखी जा रही है, खासकर केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में। इस बार संक्रमण का कारण बना है ओमिक्रॉन का नया सब-वेरिएंट BA.2.86, जिसे आमतौर पर ‘पिरोला’ (JN.1) के नाम से जाना जा रहा है।
क्या है JN.1 सब-वेरिएंट?
विशेषज्ञों के अनुसार, JN.1 में करीब 30 जेनेटिक बदलाव हैं, जो इसे वर्तमान इम्यूनिटी को चकमा देने और तेजी से फैलने में सक्षम बनाते हैं। ये परिवर्तन विशेष रूप से स्पाइक प्रोटीन में हैं, जिससे वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद मिलती है।
लक्षण ओमिक्रॉन जैसे, लेकिन अधिक संक्रामक
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. जतिन आहूजा के मुताबिक, JN.1 के लक्षण ओमिक्रॉन जैसे ही हैं, लेकिन यह ज्यादा तेजी से फैलता है। हालांकि, टी और बी कोशिकाएं, जो पूर्व संक्रमण या टीकाकरण के कारण सक्रिय होती हैं, गंभीर बीमारी से रक्षा कर सकती हैं।
क्या पुराने टीके काम आएंगे?
- पुराने टीके कुछ हद तक असरदार हो सकते हैं, हालांकि JN.1 के खिलाफ इनकी प्रभावशीलता सीमित हो सकती है।
- mRNA वैक्सीन, जैसे कि जेमकोवैक-19, को नए वेरिएंट के अनुसार जल्दी से अपडेट किया जा सकता है।
- यह टीका 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है, जिससे यह अन्य mRNA टीकों की तुलना में अधिक सुविधाजनक बनता है। हालांकि, यह अभी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है।
जोखिम वाले लोगों को विशेष सावधानी जरूरी
विशेषज्ञों ने उन लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है जो पहले से बीमारियों से ग्रसित हैं:
- अनियंत्रित डायबिटीज़
- क्रोनिक किडनी डिजीज
- एचआईवी
- अंग प्रत्यारोपण
- बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी उच्च जोखिम में
सावधानी है सबसे बड़ा हथियार
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय मास्क पहनना, भीड़ से बचना और हाथों की स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है। जोखिम वाले समूहों को टीकाकरण और बूस्टर डोज़ पर विशेष ध्यान देना चाहिए।