लखनऊ, 26 मई: उत्तर प्रदेश में दहेज प्रथा एक बार फिर समाज के सामने विकराल रूप धारण कर चुकी है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बेटियों की शादी बिना दहेज के कर पाना लगभग असंभव होता जा रहा है। लड़के वालों की मनमानी और खुलेआम दहेज की मांगों ने सामाजिक ताने-बाने को हिला कर रख दिया है।
अनेक मामलों में देखा गया है कि दूल्हे पक्ष द्वारा नकद रुपये, गाड़ी, मोटरसाइकिल, फर्नीचर, और अन्य महंगे सामान की मांग की जाती है। जो परिवार यह सब देने में असमर्थ होते हैं, उन्हें अपमानित किया जाता है या रिश्ते तोड़ दिए जाते हैं। कई मामलों में विवाह के बाद बहुओं को प्रताड़ना और हिंसा का भी सामना करना पड़ता है, जिससे कई बार आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम भी सामने आए हैं।
प्रशासन मौन, पीड़ित परिवार बेहाल
आम जनता का आरोप है कि प्रशासन और पुलिस इस सामाजिक अपराध पर आंखें मूंदे हुए हैं। शिकायतों के बावजूद, पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिल पाता। थानों में एफआईआर दर्ज कराना तक एक मुश्किल कार्य बन गया है, जिससे दहेज लोभियों के हौसले और बुलंद होते जा रहे हैं।
जनता की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील
राज्य के विभिन्न हिस्सों से आवाज़ें उठ रही हैं कि अब समय आ गया है जब उत्तर प्रदेश सरकार को दहेज के खिलाफ सख्त और प्रभावशाली कानून बनाना चाहिए। जनता की माँग है कि दहेज लेने और देने दोनों को संज्ञेय अपराध घोषित किया जाए, जिसमें दोषियों को कठोर सज़ा और आर्थिक दंड मिले।
समाजसेवियों, महिला संगठनों और युवाओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है कि वे इस सामाजिक बुराई के खिलाफ एक ठोस कदम उठाएं, जिससे बेटियों को सम्मान के साथ विवाह और जीवन जीने का अधिकार मिल सके।
अंतिम उम्मीद सरकार से
यदि समय रहते सरकार ने ठोस कार्रवाई नहीं की, तो दहेज के कारण टूटते घर और उजड़ते सपने उत्तर प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने को और भी कमजोर कर देंगे। अब समय आ गया है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के साथ-साथ ‘बेटी को दहेज से बचाओ’ का संकल्प लिया जाए।