देश में कोरोना के बाद एक और वायरस की एंट्री हो गई है। बता दें कि कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में गुरुवार को मंकी फीवर के नाम से मशहूर क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (केएफडी) से 65 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई। यह जिले में मंकी फीवर से होने वाली पहली मौत है। स्वास्थ्य अधिकारी इसे लेकर चिंतित हैं क्योंकि प्रभावी टीकाकरण अभी तक उपलब्ध नहीं है। बता दें कि मंकी फीवर भी कोरोना की तरह तेजी से फैलने वाला बीमारी है। वहीं पिछले महीने कर्नाटक में इस बीमारी के 49 संदिग्ध मामले सामने आये थे जिसमें दो लोगों की मौत भी हो गई थी।
क्या है मंकी वायरस
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ, ज़ूनोटिक वायरल बीमारी है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करती है। यह ज़ूनोटिक बीमारी है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है। यह वायरस चेचक वायरस के समान है, जो पहले दुनिया भर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या थी। मंकी पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो वायरस से होती है। इसके लक्षण मुंह, नाक, और त्वचा पर दाने होते हैं जो अक्सर खुजली और दर्द के साथ आते हैं। इससे बचाव के लिए टीकाकरण सुझाया जाता है। यदि आप या किसी अन्य को मंकी पॉक्स हो तो चिकित्सक से सलाह लेना उचित है।
मंकी फीवर के लक्षण
मंकी फीवर के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और ब्लीडिंग की आदि शामिल हैं। वहीं, गंभीर मामलों में हेमरेजिक मेनिफेस्टेशन और नर्वस सिस्टम संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं।
मंकी फीवर से कैसे बचें
मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, मंकी फीवर यानी केएफडी के लिए किसी तरह का विशेष इलाज नहीं है। सिर्फ लक्षणों का पता लगाकर इसके जोखिमों को कम करने का इलाज किया जाता है। खून आने वाली समस्याओं में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और लगातार पानी पीने की सलाह दी जाती है।हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मंकी फीवर से बचने के सभी उपाय करते रहने चाहिए। इसकी वैक्सीन भी मौजूद है। जिसे लगवाने से संक्रमण से बचाव और बीमारी के गंभीर रूप लेने का जोखिम कम हो सकता है। टिक्स के काटने से भी बचना चाहिए। इसके लिए सुरक्षित कपड़े पहन सकते हैं।