प्रयागराज। महाकुंभ में दो दिवसीय प्रवास पर पहुंचे विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने गुरुवार को युवाओं व शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा, यह महाकुंभ विशेष है क्योंकि खगोलीय घटना के अंतर्गत आयोजित हो रहा है। गंगा का महात्म्य समझाते हुए उन्होंने कहा कि, गंगा केवल नदी नहीं, भारत की आत्मा है। यदि आप गंगा का ध्यान नहीं रखते, तो आप अपना ध्यान नहीं रखते। जिसके बाद सद्गुरु ने भी गंगा में पवित्र डुबकी भी लगाई। महाकुंभ को “मुक्ति का उत्सव” बताया। कहा, “आप धार्मिक हों या ना हों, आध्यात्मिक हों या ना हों, मुक्ति चाहते हों या बंधन, यह आयोजन हर किसी के लिए है।
यह एकमात्र संस्कृति है जो मुक्ति की खोज करती है और यह परंपरा 8,000-10,000 वर्षों से चली आ रही है। गंगा में स्नान करने के बाद नमामि गंगे परियोजना के तहत हुए प्रयासों की प्रशंसा की। कहा, “गंगा पिछली बार की तुलना में साफ लग रही है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। प्रवास के दूसरे दिन सद्गुरु ने महाकुंभ क्षेत्र का भ्रमण किया। झूसी स्थित उन्होंने हिमालयन हिमालय इंस्टीट्यूट में उन्होंने गंगा की महिमा, उसकी वैज्ञानिक विशेषताएं और आध्यात्मिक ऊर्जा पर गहन चर्चा की। सदगुरु बोले- ‘महाकुंभ के दौरान एक महत्वपूर्ण खगोलीय संयोग बन रहा है, जिसमें सात प्रमुख ग्रहों-सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति, मंगल आदि का पृथ्वी पर अधिक गहराई से प्रभाव पड़ रहा है।
विशेष रूप से बृहस्पति, जो पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है तथा अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से जल प्रवाह व पर्यावरण को प्रभावित करता है। यह खगोलीय घटना केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सभ्यता के लिए वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।’ सद्गुरु ने कहा कि 1896 में ब्रिटिश जीवाणु विज्ञानियों के शोध में यह सिद्ध हुआ था कि गंगा जल में बैक्टीरियोफेज होता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया व विषाणुओं, को नष्ट कर देता है। मुगल शासक अकबर जब लंबे युद्ध अभियानों पर जाता था तो केवल गंगा जल साथ ले जाता था। सद्गुरु ने चिंता व्यक्त की कि ग्लेशियरों के पिघलने से न केवल जल संकट बढ़ रहा है।
बल्कि इससे पुराने वायरस और बैक्टीरिया भी मुक्त हो रहे हैं, जो जल को प्रदूषित कर सकते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे गंगा को किसी भी तरह से प्रदूषित न करें, क्योंकि “आपके कर्म ही आपके भविष्य का परिणाम तय करेंगे।” जैसे ही उन्होंने “योगी योगी योगेश्वराय” का उच्चारण किया, आध्यात्मिक ऊर्जा से वातावरण आलोकित हो उठा। स्वामी अवधेशानंद गिरि से मुलाकात के बाद उन्होंने एक्स हँडल पर पोस्ट किया- “कई शताब्दियों से अखाड़े मुक्ति चाहने वालों के लिए मार्गदर्शन और सहायता का स्रोत रहे हैं। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वामीजी और जूना अखाड़े को सबसे आगे देखकर खुशी हुई।’
पुष्प वर्षा के लिए नहीं मिला हेलीकॉप्टर, CEO समेत तीन पर FIR
इधर, भव्य महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर पुष्प वर्षा के लिए पहले से अनुबंधित हेलीकॉप्टर नहीं मिला। फर्म ने हेलीकॉप्टर को बिना सूचना दिए और अनुमति लिए प्रयागराज से अयोध्या भेज दिया। इसके चलते सरकार को दूसरे हेलीकॉप्टर की व्यवस्था कर स्नानार्थियों पर पुष्प वर्षा करवानी पड़ी। इस मामले में मेसर्स हैरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड पर शर्त का उल्लंघन करने और सरकारी कार्य में व्यवधान का आरोप लगाते हुए महाकुंभ नगर के कोतवाली थाने में मुकदमा लिखा गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के सिविल एविएशन के विभाग के परिचालन प्रबंधक कैप्टन पी. रमेश की लिखित शिकायत पर फर्म के सीईओ रोहित माथुर, प्रबंधक परिचालन परम और कैप्टन पुनीत खन्ना को नामजद किया गया है।
पूरा मामला
रिपोर्ट के अनुसार, 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। इस दौरान प्रत्येक अमृत (शाही) स्नान में पुष्प वर्षा कराए जाने के लिए मेसर्स हैरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड से उनके हेलीकॉप्टर को 13 और 14 जनवरी के लिए शर्तों व प्रतिबंधों के साथ सेवा प्राप्त करने के लिए अनुबंध किया गया था। तब फर्म द्वारा प्रयागराज में अपना एक हेलीकॉप्टर एयरबस H130T2 पोजीशन कराया गया। लेकिन निदेशालय को बिना किसी सूचना/अनुमति के अपने किसी अन्य कार्य के लिए हेलीकॉप्टर को अयोध्या भेज दिया गया है। जो अनुबंध की शर्तों एवं प्रतिबंधों का उल्लंघन है। फर्म के इस कृत्य से शासकीय कार्यों में व्यवधान उत्पन्न्न हुआ, जो किसी भी प्रकार से अक्षम्य है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लिखित शिकायत के आधार पर मुकदमा पंजीकृत विवेचना की जा रही है।
बता दें कि, महाकुंभ का प्रथम अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति के बाद अब मेला प्रशासन प्रदेश सरकार की मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या की महातैयारी में जुटेगा। इसके बाद मंत्रिमंडल की बैठक की तैयारी की है। पहले कैबिनेट की बैठक 21 जनवरी को प्रस्तावित थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद मेला प्रशासन मौनी अमावस्या स्नान पर्व को प्राथमिकता देगा। मौनी अमावस्या के बाद ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी आएंगी। उनके आगमन की प्रस्तावित तिथि अभी 10 फरवरी है।