बलौदाबाजार। छतीसगढ़ में पहली बार किसी नाबालिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने रेप और हत्या मामले में नाबालिग सहित 3 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। वहीं मामले की सुनवाई अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रशांत पराशर के कोर्ट में हुई। कोर्ट ने इसे रेयर केस माना। इसके बाद बुधरा बाई, उसके नाबालिग बेटे और पड़ोसी दोस्त मुकेश उर्फ जगमोहन को दोषी पाया है। इन लोगों ने हत्या के बाद बच्ची के शव को कुएं में फेंक दिया था। प्रदेश में यह पहला मामला है, जब किसी नाबालिक को उम्र कैद हुई हो।
बता दें कि बलौदाबाजार जिले के पौंसरी गांव में 26 मई 2021 को सात साल की मासूम बच्ची अपने पड़ोस में खेलने गई थी। इस दौरान पड़ोसी के सहेली का भाई मासूम को खींचकर बाथरूम में ले गया। जिसके बाद उसने मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। दुष्कर्म के बाद नाबालिक बेहोश हो गई। तब आरोपी युवक ने गला दबाकर मासूम की हत्या कर दी। जिसके बाद आरोपी ने अपने साथी की सहायता से मासूम के शव को कुएं में फेंक दिया।
कैसे हुआ मामले का खुलासा ?
मासूम पड़ोस में खेलने गई थी लेकिन शाम तक अपने घर नहीं लौटी तो उसके माता-पिता ने तलाश शुरू की। दूसरे दिन बच्ची का शव गांव की एक बाड़ी के कुएं में मिला। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। वहीं पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में मामले का खुलासा हुआ। जिसके नाबालिक सहित 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
29 गवाहों के बयान के बाद फैसला
रेप और हत्या के मामले में कोर्ट ने एक महिला और नाबालिग सहित 3 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। दरअसल, पूरे मामले पर कोर्ट के सामने 29 गवाहों का बयान दर्ज कराया गया था। विवेचना अधिकारी महेश कुमार ध्रुव निरीक्षक और बलौदा बाजार SDOP भाष दास ने आरोपियों को खिलाफ मामला पेश किया था। दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद रेप और हत्या साबित हुई।
लोक अभियोजक समीर अग्रवाल ने बताया कि, अपराध की स्थिति को देखते हुए पॉक्सो एक्ट में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब 16 साल के नाबालिग पर भी वयस्क की तरह केस चल सकेगा। हालांकि शर्त यह है कि मानसिक रूप से नाबालिग स्वस्थ होना चाहिए।