Permanent Commission In Coast Guard: इंडियन कोस्ट गार्ड में महिला अफसरों की परमानेंट कमीशन नहीं देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आपका रवैया इतना पितृसत्तात्मक क्यों है? केंद्र के इस अप्रोच की खिंचाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) में महिला अफसरों को अपने पुरुषों के बराबर क्यों नहीं मान सकता, जैसा कि सेना, नौसेना और वायु सेना में होता है.
CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि कोर्ट ये सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करेगी कि न्याय हो. कोर्ट ने ये भी कहा कि ये केवल एक मामले तक ही सीमित नहीं रहेगा, इसका दायरा भी बढ़ेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट प्रियंका त्यागी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें इंडियन कोस्ट गार्ड में स्थायी प्रवेश से वंचित कर दिया गया था.
कोर्ट ने कहा- आप नारी शक्ति की बात करते हैं
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से कहा कि इंडियन कोस्ट गार्ड, भारतीय सेना और नौसेना की तुलना में एक अलग डोमेन में काम करता है. इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि आप ‘नारी शक्ति’ की बात करते हैं. अब इसे यहां दिखाएं. उन्होंने ये भी कहा कि अगर महिलाएं देश की सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. लगता है कि आपने बबीता पूनिया मामले में हमारा जजमेंट नहीं पढ़ा है.
कौन हैं याचिका दायर करने वाली प्रियंका त्यागी?
प्रियंका त्यागी ने सहायक कमांडेंट के पद पर शॉर्ट सर्विस अप्वाइनमेंट यानी SSA अधिकारी के रूप में इंडियन कोस्ट गार्ड में पायलट के रूप में 14 साल काम किया है. इस दौरान त्यागी ने समुद्र में 300 से अधिक लोगों की जान बचाई, 4,500 घंटे उड़ान भरी. वे पूर्वी क्षेत्र में समुद्री गश्त करने के लिए डोर्नियर विमान पर पहली बार सभी महिला चालक दल का हिस्सा थीं.
याचिका में बताया गया कि इन उपलब्धियों के बावजूद, उन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया. सशस्त्र बलों के तीनों अंगों में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का हवाला देते हुए, उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का भी रुख किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायिक निर्णय आने तक ICG को उनकी सेवा जारी रखने का निर्देश देकर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं थीं.
प्रियंका त्यागी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वो पॉलिसी की जांच के लिए मामले का दायरा बढ़ाएगी और केवल एक मामले तक ही सीमित नहीं रहेगी. हम सुप्रीम कोर्ट हैं. हम देखेंगे कि आईसीजी में महिलाओं के लिए न्याय किया जाता है? हम पूरे कैनवास को खोल देंगे.
क्या है बबीता पूनिया मामले में सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट?
दरअसल, बबीता पूनिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में एक जजमेंट दिया था. इसके मुताबिक कोर्ट ने माना था कि महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी पुरुषों के समान परमानेंट कमीशन की हकदार हैं.
कोर्ट ने ये भी माना था कि केंद्र का अप्रोच सामाजिक धारणाओं पर आधारित था, जिसमें माना जाता है कि पुरुष शारीरिक रूप से मजबूत, जबकि महिलाएं कमजोर होती हैं.