3.4 C
New York
November 22, 2024
BBC LIVE
राष्ट्रीय

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में SC ने सुरक्षित रखा फैसला,हलफनामा के लिए दिया और समय

दिल्ली। पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को हलफनामा दाखिल करने के लिए समय भी दिया है। इस हलफनामे में पतंजलि को यह बताना है कि उसने भ्रामक विज्ञापनों और उन दवाओं को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए हैं, जिनके लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं।

भ्रामक विज्ञापन पर सेलिब्रिटी के खिलाफ भी होगी कार्रवाई
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बीती 7 मई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर लोगों को प्रभावित करने वाले किसी प्रोडक्ट या सर्विस का विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है तो इसके लिए सेलिब्रिटीज और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को भी समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाए। आईएमए ने अपनी याचिका में कहा है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हालांकि कोर्ट के आदेश बावजूद पतंजलि की तरफ से प्रिंट मीडिया में कथित भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कराए गए। इस पर 3 जनवरी 2024 को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने को लेकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी किया।

कोर्ट ने पतंजलि को अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करने का दिया था निर्देश
अवमानना नोटिस जारी करने के बावजूद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की तरफ से जवाब नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने दोनों को सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने माफीनामा जारी किया, लेकिन कोर्ट ने माफीनामा खारिज कर दिया। 6 अप्रैल 2024 को कोर्ट ने अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया। 7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को असली माफीनामे की जगह ई-फाइलिंग करने पर भी फटकार लगाई। इस मामले में 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आईएमए के डॉक्टरों को भी विचार करने को कहा, जो अक्सर महंगी और गैर-जरूरी दवाई लिख देते हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर आप एक उंगली किसी की तरफ उठाते हैं तो चार उंगलियां आपकी और भी उठेंगी। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। जिस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Related posts

संसद सत्र के पहले दिन पीएम मोदी पर राहुल-खरगे का हमला, कहा- संविधान पर आक्रमण मंजूर नहीं

bbc_live

बीजेपी जल्द 100 उम्मीदवारों के नामों का कर सकती है ऐलान, पीएम मोदी फिर वाराणसी से लड़ेंगे चुनाव!

bbc_live

Mandi Bhav : सरसों के रेट में आई 1600 रुपए की गिरावट जानिए नए रेट

bbc_live

Leave a Comment

error: Content is protected !!