रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा 6 अगस्त 2021 को आयोजित जीडीसीआई (सामान्य विभागीय प्रतियोगी परीक्षा) का पेपर रेलकर्मी प्रशांत सिंह मीना के साथ 5 लोगों ने लीक किया था। इनमें चार परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने के बाद फरार हो गए थे।
जिसमें आगरा कैंट स्टेशन का कथित पार्सल पोर्टर विनोद कुमार भी शामिल है। वहीं सीबीआई को अब अभ्यर्थियों को पेपर मुहैया कराने वाले निजी व्यक्ति गणपत विश्नोई, रेख सिंह, अमित और कैलाश मीना की तलाश है। गणपत को पेपर लीक करने वाले राजस्थान के इस गिरोह का सरगना बताया जा रहा है।
प्रति अभ्यार्थी दो से चार लाख रुपये वसूले गए थे
सूत्रों की माने तो परीक्षा से एक दिन पहले पेपर लीक कराने वाले गिरोह ने कई अभ्यर्थियोंको गाजियाबाद स्टेशन पर बुलाया था। फिर उन्हें पास के एक कमरे में ले जाकर प्रश्न पत्र के उत्तर याद कराए थे। साथ ही कुछ अन्य स्थानों पर भी अभ्यर्थियों को पेपर उपलब्ध कराए थे। प्रति अभ्यर्थी दो से चार लाख रुपए वसूले गए थे।
सीबीआई अब यह पता करने की कोशिश कर रही है कि पेपर कहां से लीक हुआ था और उसमें मुख्य रूप से किन लोगों की भूमिका थी। बता दें कि सीबीआई ने पेपर लीक मामले में 11 रेलकर्मियों व एपटेक कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गुरुवार को राजस्थान और यूपी के 11 ठिकानों पर छापा मारकर अहम साक्ष्य जुटाए थे।
प्रशांत कुमार मीना ने दो लाख रुपए लेकर पेपर मुहैया कराया
इससे पहले इस प्रकरण की जांच रेलवे की विजिलेंस ने की थी। विजिलेंस की रिपोर्ट में बताया गया कि अभ्यर्थी रेलकर्मी भूप सिंह ने बयान दिया कि उसे अलीगढ़ के ट्रैक मेंटेनर प्रशांत कुमार मीना ने दो लाख रुपए लेकर पेपर मुहैया कराया था। प्रशांत ने उसे 5 अगस्त की रात गाजियाबाद बुलाया था, जहां से ऑटो के जरिए एक कमरे में ले गया। वहां पहले से उसके सहकर्मी हंसराज मीना, प्रमोद कुमार मीना, पीतम सिंह और धर्मदेव मौजूद थे।
सभी को रातभर प्रश्नों के जवाब याद कराए गए। सुबह होने पर उन्हें परीक्षा केंद्रों पर ले जाकर छोड़ दिया। अभी तक भूप सिंह, जीतेंद्र कुमार मीना, प्रशांत कुमार मीना, प्रमोद कुमार मीना, हंसराज मीना, पीतम सिंह, धर्मदेव, हरिओम मीना, मोहित भाटी, महावीर सिंह, वेगराज व मान सिंह का बयान दर्ज हो चुका है।
तीन महीने पहले कंपनी को मिली थी पेपर व आंसर की
विजिलेंस की जांच में सामने आया कि प्रयागराज रेलवे भर्ती बोर्ड के चेयरमैन राजेश कुमार ने 15 अप्रैल 2021 को एपटेक कंपनी द्वारा अधिकृत की गई कर्मचारी प्रियंका तिवारी को पेपर और आंसर-की दी थी। हालांकि विजिलेंस यह नहीं खोज पाई कि पेपर कब और कहां से लीक हुआ। तह तक जाने के लिए विजिलेंस ने मुंबई के साइबर फॉरेंसिक एनालिस्ट कंपनी माइक्रॉन कंप्यूटर से जांच करायी।
कंपनी ने बताया कि एपटेक ने पेपर को सुरक्षित रखने के लिए फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल और फायरवॉल समेत जरूरी नियमों का इस्तेमाल नहीं किया। पासवर्ड से सुरक्षित नहीं होने पर इसे एपटेक के कर्मचारी आसानी से देख सकते थे। वहीं, एपटेक भी अधूरी जानकारियां देकर विजिलेंस को गुमराह करता रहा। इसी के चलते सीबीआई ने एपटेक को भी मुकदमे में नामजद किया है।
आरोपी कैलाश ने दिया था रेलवे का पेपर
प्रशांत कुमार मीना ने अपने बयान में कहा कि उसे निजी व्यक्ति कैलाश मीना ने अभ्यर्थियों को गाजियाबाद बुलाकर उसके पास भेजने को कहा था। वह राजस्थान में सरकारी नौकरी हासिल करने के प्रयास के दौरान कैलाश से मिला था। कैलाश ने ही उसे प्रति अभ्यर्थी 4.50 लाख रुपये में डीजीसीई का पेपर मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। इसी तरह बाकी अभ्यर्थियों ने भी पेपर लीक कराने वाले गिरोह के सदस्यों से पुरानी पहचान होने की बात कबूली।