रायपुर। बीते दिनों राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अपने ही बनाए नियमों व मापदंडों का सीधा-सीधा उल्लंघन कर दिया है। पालिटेक्निक कालेज के व्याख्याताओं का इंजीनियरिंग कालेज में स्थानांतरण कर दिया। इसके बाद इंजीनियरिंग कालेज में अध्यापन कार्य करा रहे चार अंशकालीन सहायक प्राध्यापकों की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया है। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि, पालिटेक्निक कालेज के व्याख्याताओं का इंजीनियरिंग कालेज में तबादला नहीं हो सकता। दोनों संस्थानों की सेवा शर्तें एकदम अलग है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि, सेवा शर्त के साथ ही भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता भी अलग है।
क्या हैं पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, विनिता साहू एवं अन्य तीन प्राध्यापकों की गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज रायपुर में अंशकालीन सहायक प्राध्यापक के पद पर (इलेक्ट्रानिक्स एवं टेलीकम्यूनिकेशन) के पद पर शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए नियुक्ति की गई थी। जिसे 01/10/24 को राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर पालिटेक्निक कालेज के पांच नियमित प्राध्यापक को रायपुर इंजीनियरिंग कालेज में स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं आदेश के नौ दिन बाद 10/10/24 को राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं की जगह नियमित पदस्थापना कर सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया। राज्य शासन के दोनों ही आदेश को याचिकाकर्ता व्याख्याताओं ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि, पालिटेक्निक और इंजीनियरिंग कालेज में सेवा भर्ती नियम अलग-अलग है। इंजीनियरिंग कालेज में छत्तीसगढ़ तकनीकी शिक्षा (शिक्षक संवर्ग-इंजीनियरिंग महाविद्यलय, राजपत्रित) भर्ती तथा सेवा की शर्ते नियम 2014 के तहत इंजीनियरिंग कालेज में प्राध्यापक का पद स्वीकृत है, किन्तु व्याख्याता का पद स्वीकृत नहीं है। सेवा भर्ती नियम 6 के तहत प्राध्यापक या समकक्ष ही उक्त पद पर स्थानांतरित किए जा सकते हैं। सहायक प्राध्यापक के लिए एम टेक व व्याख्याता के लिए बी टेक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता है।
नियमों के अनुसार, व्याख्यता का इंजीनियरिंग कालेज में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने नियमों का हवाला देते हुए राज्य शासन द्वारा जारी सेवा समाप्ति के नियमों को भी अवैध ठहराया है। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए स्थानांतरण व सेवा समाप्ति के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।