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November 12, 2024
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टॉयलेट में पानी नहीं, AC भी बंद… रेलवे को देना होगा ‘भारी’ जुर्माना

डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन ने साउथ सेंट्रल रेलवे (SCR) को एक यात्री और उसके परिवार को शारीरिक और मानसिक पीड़ा के लिए 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. यात्री और उनके परिवार ने टॉयलेट में पानी की कमी और एयर कंडीशनिंग की कमी की शिकायत की थी.

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग- I (विशाखापत्तनम) की पीठ ने कहा कि चूंकि रेलवे ने सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का वादा करके टिकट का किराया वसूला है, इसलिए ये टॉयलेट में पानी, एसी और माहौल जैसी न्यूनतम सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है। सुविधाएं प्रदान करने में विफल होना सेवा में कमी के बराबर है.

शिकायतकर्ता ने क्या-क्या कहा?

विजाग शहर के मूल निवासी शिकायतकर्ता वी मूर्ति (55) ने उल्लेख किया कि उन्होंने तिरुपति रेलवे स्टेशन से विशाखापत्तनम तक तिरुमाला एक्सप्रेस ट्रेन में आरामदायक और तनाव मुक्त यात्रा के लिए चार 3AC टिकट रिजर्व्ड किए थे. उन्हें बी-7 कोच में बर्थ आवंटित किए गए थे.

5 जून 2023 को शिकायतकर्ता और उसका परिवार तिरुपति रेलवे स्टेशन से ट्रेन में चढ़ा था. जब वे टॉयलेट का उपयोग करने गए, तो उन्हें पानी की कमी का सामना करना पड़ा और कोच में अन्य तरह की गंदगियों का भी सामना करना पड़ा. मूर्ति ने बताया कि हालांकि उन्होंने दुव्वाडा में संबंधित कार्यालय में असुविधा के बारे में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपनी यात्रा के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

रेलवे ने यात्री और उनके परिवार के आरोपों का किया विरोध

रेलवे ने आरोपों का विरोध किया और उल्लेख किया कि मूर्ति ने मुआवजा पाने के लिए झूठे आरोप लगाकर शिकायत दर्ज कराई है. कहा गया कि मूर्ति और उनका परिवार रेलवे की ओर से प्रदान की गई सेवाओं का लाभ उठाकर सुरक्षित रूप से अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचे.

हालांकि, आयोग ने पाया कि ओपी (विपरीत पक्ष, रेलवे) की दलीलों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि यात्री से शिकायत प्राप्त होने पर, रेलवे के संबंधित कर्मचारियों ने शिकायत पर ध्यान दिया और पाया कि एयर-लॉक के कारण पानी का सप्लाई बाधित हो रहा था और ये खराबी तकनीकी खराबी के कारण थी. विपक्षी पक्ष की स्वीकारोक्ति से ये साबित होता है कि ट्रेन को न्यूनतम सुविधाओं की जांच किए बिना ही प्लेटफ़ॉर्म पर रखा गया था.

मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, आयोग ने विपक्षी पक्ष को तिरुपति से दुव्वाडा (विजाग जिला) तक की यात्रा के दौरान हुई असुविधा के लिए शिकायतकर्ता को 25,000 का मुआवजा देने और कानूनी लागत के रूप में अतिरिक्त 5,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया.

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