बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल विजिलेंस आलोक कुमार ने प्रदेश के सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है, जिसमें न्यायिक अधिकारियों से उनकी चल-अचल संपत्ति का विवरण पेश करने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश सभी 526 न्यायिक अधिकारियों के लिए है, जो प्रदेश भर में कार्यरत हैं।
पत्र में कहा गया है कि सभी न्यायिक अधिकारी 31 दिसंबर 2024 की स्थिति में अपनी संपत्ति का विवरण निर्धारित प्रारूप में तैयार करके 28 फरवरी 2025 तक हाई कोर्ट के ईमेल पर अपलोड करेंगे। इसके साथ ही यह विवरण पंजीकृत डाक के माध्यम से हार्ड कापी के रूप में भी भेजा जाएगा।
निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीश अपने अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों से संपत्ति का ब्योरा प्राप्त करेंगे, उसे सत्यापित करेंगे और निर्धारित समय सीमा में संबंधित विवरण प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी न्यायिक अधिकारी व्यक्तिगत रूप से संपत्ति का विवरण सीधे जमा न करें। यदि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही होती है, तो जिम्मेदारी संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश की होगी।
संपत्ति के ब्योरे में अचल संपत्तियों जैसे जमीन, मकान और अन्य अचल संपत्तियों का विवरण देना होगा, साथ ही यह भी बताना होगा कि इन संपत्तियों को अर्जित करने का स्रोत क्या है। चल संपत्तियों के अंतर्गत जेवरात, बैंक में जमा राशि, शेयर, निवेश, एफडी, पीपीएफ, जीपीएफ, एनएसएस जैसी अन्य धनराशियों की जानकारी भी शामिल होगी।
यह आदेश प्रदेश के सभी जिलों में लागू किया गया है, जिनमें बालोद, बेमेतरा, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, जशपुर, कोरबा, रायगढ़, बस्तर, सरगुजा, सूरजपुर समेत अन्य जिले भी शामिल हैं। रजिस्ट्रार विजिलेंस ने यह भी कहा है कि किसी भी प्रकार की चूक के लिए जिम्मेदारी सीधे संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की होगी।