० दावेदारों व नगर में हो रही घोर आलोचना , अध्यक्ष चुनाव में जबरदस्त उलटफेर की संभावना
० इस्तीफे के दौर चलेगा
सरायपाली। नगरपालिका नगरीय चुनाव में नामांकन फार्म भरने हेतु मात्र अब एक दिन बचा है । 28 जनवरी नामांकन दर्ज किए जाने का अंतिम दिन है । भाजपा द्वारा अध्यक्ष व सभी पार्षद प्रत्याशीयों की घोषणा कर दी गई है तो वही कांग्रेस द्वारा अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की घोषणा तो कर दी गई पर अभी तक पार्षद प्रत्याशियों की घोषणा नही किये जाने से दावेदारों व प्रत्याशियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है । भाजपा द्वारा पार्षदों व अध्यक्ष प्रत्याशियों की घोषणा किये जाने के बाद भाजपा के दावेदारों व जमीनी कार्यकर्ताओ में भारी असंतोष व्याप्त है । टिकिट बटवारे को लेकर उपज रहे आक्रोश का नुकसान चुनाव परिणाम में दिखाई देगा । कुछ ऐसे लोगो को पार्टी की टिकिट दी गई है जिनका पार्टी व पार्टी गतिविधियों से दूर दूर का रिश्ता व संबंध ही नही है ।
जिन्हें कभी भी पार्टी कार्यक्रमो में देखा तक नही गया है । वार्ड क्रमांक 3 व 6 उसके उदाहरण है । वही एक वार्ड से जुआ , सट्टा व ऐसे ही अवैधानिक धंधों में शामिल व्यक्तियों के खास व्यक्ति को टिकिट दी गई है । इसी तरह एक अन्य वार्ड से भी वरिष्ठ कार्यक्रताओं व दावेदारों को दरकिनार कर टिकिट दिए जाने से इस वार्ड में भारी विरोध का सामना भाजपा को करना पड़ेगा । विगत चुनाव के विजयी पार्षदों में एक पार्षद जिसे कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावके समय पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण 6 वर्षो के लिए निलंबित कर दिया गया था फिर उसे कुस आधार पर पुनः टिकिट दी गई । परिवार वाद का विरोध व ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा एक वर्तमान पर पार्षद के पत्नी को टिकिट देकर कट परिवारवाद का सरंक्षण व संवर्धन नही कर रही है ।इस तरह पार्षद प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं व दावेदारों में भारी आक्रोश है ।
वही नगरपालिका अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित जरूर है किंतु भाजपा व कांग्रेस पार्टी दनो ने इसे अन्य वर्ग के लिए अघोषित रूप से पिछले वर्ग के लिए घोषित कर दिया । अब दोनों ही पार्टियों से सामान्य सीट होने से उत्साहित दावेदारों में खुशी की लहर थी कि पार्टियां सामान्य महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर टिकिट देगी जिससे वे चुनाव लड़ सकेंगे । किंतु इनके आशाओं के विपरीत दोनों हो पार्टियों ने पिछड़ा वर्ग से प्रत्याशी घोषित किया गया है । इससे सामान्य सीट से लड़ने वाले प्रत्याशियों में भारी निराशा व आक्रोश का माहौल है । इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार सामान्य सीट के कुछ दावेदारों द्वारा पार्टी से अपने समर्थकों के साथ इस्तीफा दिए जाने का सिलसिला प्रारम्भ हो सकता है । और वे निर्दलीय चुनाव अध्यक्ष पद के लिए लड़ सकते हैं ।
इनमें भाजपा से प्रखर अग्रवाल , कांग्रेस से हरदीपसिंह रैना व निर्दलीय पार्षद रहे विकास सिंह जिन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के समय भाजपा का समर्थन किया था । इसके साथ ही पूर्व पार्षद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल नईम भी कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं इन चारो के निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्थिति में कांग्रेस व भाजपा के समक्ष चुनौती खड़ी हो सकती है ।
भाजपा के अनेक नेताओ व कार्यकर्ताओं ने नाम नही छपने की शर्त पर बताया कि भाजपा का मूल मंत्र परिवारवाद व वंशवाद की सख्त विरोधी रही है । पिछले चुनाव में इसक्जे जबरदस्त तरीके से विपक्षियों पार्टियों की आलोचना भी की गई थी । किंतु दुखद की सार्वजनिक तौर पर परिवार वाद व वंशवाद का विरोध करने वाली पार्टी आज स्वयं इस दलदल में फंस गई है । एक ही वार्ड , एक ही परिवार व एक ही वर्ग से कभी पत्नी तो कभी पति अध्यक्ष व पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं । वर्तमान चुनाव में भी यही हो रहा है । अध्यक्ष पद हेतु दो बार पति व एक बार पत्नी , उपाध्यक्ष पद पर पति – पत्नी तो पार्षद पद के लिए पुनः पति पत्नी को टिकिट दी गई है । जो भाजपा के मूल सिंद्धान्तों के सर्वथा विरुद्ध है ।
30 जनवरी नाम वापसी का अंतिम दिन है संभव है उसके बाद पार्टी से नाराज दावेदारों व कार्यकर्ताओं का इस्तीफे के दौर की शुरुवात हो सकती है ।