रायपुर/सुकमा: छत्तीसगढ़ में निलंबित IFS अशोक पटेल के खिलाफ ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) और EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की कार्रवाई के बाद वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। खासकर बलरामपुर, सूरजपुर, सरगुजा, जशपुर, कोरबा और मरवाही के वनमंडलाधिकारी (DFO) परेशान हैं कि अगला निशाना कहीं वे तो नहीं! आमतौर पर मार्च के इस समय में DFO अपने दफ्तरों में बजट निपटाने की कवायद में जुटे होते थे, लेकिन इस बार उनके सरकारी बंगलों पर सन्नाटा पसरा है।
EOW और ACB की कार्रवाई से सहमे IFS अधिकारी
सूत्रों के मुताबिक, वन विभाग के कई अधिकारियों ने बजट खत्म करने के लिए जल्दबाजी में टेंडर पास कराए, चेक पहले जारी किए और बाद में बिल तैयार करवाए। लेकिन अब EOW और ACB की नजरें इन गड़बड़ियों पर हैं, जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी डरे हुए हैं।
IFS प्रभात मिश्रा को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। वनपाल से 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का मामला उजागर होने के बाद उनके खिलाफ भी कार्रवाई की संभावनाएं बढ़ गई हैं। भले ही उन्हें वन मंत्री का समर्थन मिला हो, लेकिन EOW और ACB की सक्रियता ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। जानकारों का कहना है कि EOW प्रमुख अमरेश मिश्रा ने एक बार कार्रवाई शुरू की, तो न मंत्री बचा पाएंगे और न ही उनके करीबी।
“वनपाल की नौकरी खा जाऊंगा” – IFS प्रभात मिश्रा की धमकी?
मीडिया में खबर आई कि प्रभात मिश्रा ने वनपाल से रिश्वत मांगी थी। इसके बाद उन्होंने मंत्री और उनके पीए को सफाई देकर मामला दबाने की कोशिश की। लेकिन जब वनपाल ने रिश्वत देने से मना कर दिया, तो उसे दूसरी बार गलत तरीके से निलंबित कर दिया गया। इससे नाराज होकर प्रभात मिश्रा ने कथित रूप से अपने करीबियों से कहा कि “मैं उसकी नौकरी खा जाऊंगा, टर्मिनेट करके ही दम लूंगा। बीजेपी की सरकार है और वह अल्पसंख्यक है, ऐसे में उसे कौन बचाएगा?”
रेंजरों से 8-10 लाख रुपये की वसूली का आरोप
सूत्रों के मुताबिक, प्रभात मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में रेंजरों से 8 से 10 लाख रुपये तक की उगाही की। यह रकम शिकायतें खत्म करने, फाइलें दबाने और गड़बड़ियों पर पर्दा डालने के लिए ली गई। अगर जांच में यह देखा जाए कि:
- प्रभात मिश्रा के कार्यकाल में कितनी शिकायतें दर्ज हुईं?
- उनमें से कितनी पर कार्रवाई हुई?
- कितनी शिकायतों को दबाया गया या खत्म कर दिया गया?
तो यह साफ हो जाएगा कि उनकी पोस्टिंग कितने करोड़ में हुई थी।
बजट आवंटन और निलंबन भी जांच के घेरे में
IFS प्रभात मिश्रा ने अपने अधीनस्थ DFO के बीच बजट कैसे बांटा, किन कर्मचारियों को निलंबित किया, किन्हें बहाल किया और किन्हें परेशान कर जबरन पैसे लिए—इन सब की जांच की जानी चाहिए। कहा जा रहा है कि उन्होंने मनमाने कारण बताओ नोटिस जारी कर कर्मचारियों को परेशान किया और फिर पैसे लेकर उन्हें वापस ले लिया।
EOW-ACB का अगला कदम क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ACB और EOW की अगली रेड IFS प्रभात मिश्रा के ठिकानों पर होगी?
वन विभाग में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार जांच का दायरा बड़ा होता दिख रहा है। अगर जांच निष्पक्ष हुई तो कई बड़े अधिकारियों के चेहरे से नकाब हट सकता है। अब देखना होगा कि शासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है—क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या फिर मामला फाइलों में ही दब जाएगा?