शनि जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाती है, जिसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनि देव के जन्मोत्सव के रूप में पूजा की जाती है। शनि देव को कर्मफलदाता माना गया है, जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को शनि देव की पूजा से कुंडली के शनि दोष शांत होते हैं और जीवन में उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
📅 शनि जयंती 2025 कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार:
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025 को सुबह 8:31 बजे
उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती: 27 मई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
उत्तर भारत में इस दिन वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है।
🛕 शनि जयंती पर पूजन विधि:
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शनिदेव की प्रतिमा को काले वस्त्र पर स्थापित करें।
सरसों के तेल का दीपक और धूप जलाएं।
पंचगव्य या पंचामृत से शनि प्रतिमा को स्नान कराएं।
काजल व कुमकुम लगाएं, फूल अर्पित करें।
तेल से बनी मिठाई जैसे खाजा या बूँदी का भोग लगाएं।
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
शनि चालीसा और शनि आरती का पाठ करें।
अंत में क्षमा याचना कर शनिदेव से कृपा की प्रार्थना करें।
🔯 शनि जयंती पर शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय:
पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं।
पीपल का पौधा लगाना भी पुण्यकारी माना गया है।
शिवलिंग पर काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें।
दान करें: काले तिल, काले कपड़े, सरसों तेल, काले जूते, लोहे के बर्तन आदि।
हनुमानजी और शिवजी की पूजा करने से भी शनिदेव की कृपा मिलती है।
🧘 शनि जयंती का महत्व:
शनि देव सूर्य देव और छाया माता के पुत्र हैं।
यह दिन शनि दोष से मुक्ति, साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत के लिए विशेष माना गया है।
इस दिन की पूजा से धन, स्वास्थ्य, कर्म और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।