रायपुर : फर्जी शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के आधार पर शासकीय सेवा में नियुक्ति पाने वाले व्याख्याता लक्ष्मी नारायण राजवाड़े को आखिरकार सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के संचालक (DPI) ऋतुराज रघुवंशी ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए बर्खास्तगी की कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायत के बाद शुरू हुई जांच
लक्ष्मी नारायण राजवाड़े, व्याख्याता (एलबी), पदस्थ शासकीय हाई स्कूल लवेद, विकासखण्ड करतला, जिला कोरबा के खिलाफ यह शिकायत प्राप्त हुई थी कि उन्होंने नौकरी के लिए फर्जी प्रमाण-पत्रों का उपयोग किया है। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी, कोरबा के माध्यम से दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि के लिए गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर से संपर्क किया गया।
फर्जी निकली डिग्रियां
विश्वविद्यालय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि वर्ष 2008 की बी.एड. की अंकसूची और वर्ष 2005 की एम.ए. (संस्कृत) की अंकसूची विश्वविद्यालय से जारी नहीं हुई है। केवल वर्ष 2003 में प्राप्त बी.ए. की डिग्री को ही वैध माना गया है।
सुनवाई के कई अवसर, लेकिन नहीं दिया संतोषजनक जवाब
कार्यालय की ओर से राजवाड़े को कई बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी बात रखने के अवसर दिए गए, लेकिन वे अधिकतर सुनवाइयों में अनुपस्थित रहे। अंतिम सुनवाई 4 अक्टूबर 2024 को आयोजित की गई थी, जिसमें वे उपस्थित हुए और लिखित प्रतिवाद प्रस्तुत किया, परंतु प्रस्तुत प्रमाण-पत्र विश्वविद्यालय की पुष्टि में असत्य पाए गए।
नियमों के तहत बर्खास्तगी
फंडामेंटल रूल्स 31-A के तहत, यदि कोई शासकीय सेवक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सेवा में प्रवेश करता है, तो उसकी नियुक्ति निरस्त की जा सकती है। इसी नियम और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए DPI ने राजवाड़े को शासकीय सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।
शिक्षा विभाग का कड़ा संदेश
शिक्षा विभाग ने इस कार्रवाई को एक सख्त संदेश बताया है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वालों के लिए शासकीय सेवा में कोई स्थान नहीं है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू माने जाने की पुष्टि भी की गई है।