रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान सामने आने के बाद अब राज्य में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। साय के बयान पर प्रदेश कांग्रेस ने चैलेंज करते हुए कहा कि, सरकार को श्वेतपत्र जारी कर स्पष्ट करना चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि, हमारे शासनकाल में कोई चर्च नहीं बना है। इसपर बीजेपी ने भी पलटवार किया है।
बीजेपी ने कहा है कि भूपेश शासनकाल में एक आईपीएस ने सुकमा से पत्र जारी कर कहा गया था आदिवासियों की संस्कृतियों पर आक्रमण हो रहा है, ईसाई मिशनरियां धर्मांतरण करा रही है। क्या ये पत्र उन्होंने नहीं पढ़ा था ? हम इन मुद्दों से सख्ती से निपटने के लिए तैयार है।
बता दें कि बीते दिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक शैक्षणिक संस्थान के कार्यक्रम में कहा था कि मिशनरीज का बोलबाला है।
क्या होता है ‘श्वेता पत्र’?
श्वेत पत्र किसी भी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जारी किया जाता है, जब किसी विषय पर कई सारे विचार सामने आ रहे हो। उस वक्त श्वेत पत्र को स्पष्टीकरण के लिए जारी किया जाता है। आमतौर पर सरकार अपनी बात को स्पष्ट तौर पर जनता तक पहुंचाने के लिए श्वेत पत्र जारी करती है। श्वेत पत्र में सरकार की कमियों, उससे होने वाले दुष्परिणामों और सुधार करने के लिए सुझावों जैसे विषय होते हैं। सबसे पहले साल 1922 में व्हाइट पेपर की शुरुआत हुई थी। उस समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने एक दंगे की सफाई में इसे जारी किया था, तब इसे चर्चिल व्हाइट पेपर भी कहा जाने लगा. बाद में इसे व्हाइट पेपर कहा जाने लगा।